उत्तराखंड की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक, खनन की रॉयल्टी दरों में एकरूपता लाने की तैयारी है। प्रदेश में वन स्टेट, वन रॉयल्टी नीति लागू की जाएगी। शासन के निर्देश पर वन विकास निगम ने इसका प्रस्ताव तैयार कर सौंप दिया है। हालांकि इस पर अभी अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है।
प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में आरक्षित वन क्षेत्रों में उपखनिज का वन विभाग की ओर से वन विकास निगम को सौंपा गया है। इसके अलावा राजस्व क्षेत्र की नदियों में खनन विभाग की देखरेख में खनन होता है। वहीं, शासन-प्रशासन की अनुमति के बाद निजी पट्टों पर भी खनन किया जाता है।
जबकि राजस्व और निजी खनन पट्टों में यह दरें 15 से 18 रुपये तय हैं। नई दरें क्या होंगी, इस पर शासन में होनी वाली अंतिम बैठक में फैसला लिया जाएगा।
राज्य में निकलने वाले 65 से 70 प्रतिशत उप खनिज का चुगान आरक्षित वन क्षेत्रों से निकलने वाली नदियों से किया जाता है।
इसके अनुसार, रॉयल्टी की दरों के साथ सीमांकन एवं सुरक्षा क्षतिपूर्ति पौधरोपण, स्टांप शुल्क, वन्य जीव शमन, श्रमिक कल्याण कोष, धर्मकांटा, कंप्यूटरीकृत तौलाई, सीसीटीवी कैमरा, परिचालन व्यय जैसी तमाम औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं।
– पूरे राज्य में सभी स्थलों से निकलने वाले खनिजों की मूल रॉयल्टी को प्रति कुंतल सात रुपये तक किया जा सकता है।
– जिला खनिज न्यास में अशंदान रॉयल्टी को 15 प्रतिशत किया जा सकता है।
– क्षतिपूरक पौधरोपण में अशंदान रॉयल्टी को 10 प्रतिशत किया जा सकता है।
– सीमांकन एवं सुरक्षा में वन विभाग का अशंदान 0.25 रुपये प्रति कुंतल किया जा सकता है।
– वन विकास निगम परिचालन व्यय में 0.25 रुपये प्रति कुंतल कम करने पर सहमत है।
– वन विभाग की ओर से रोड फीस 25 प्रतिशत कम करने पर विचार किया जा सकता है।