असम की पद्मश्री से सम्मानित 102 वर्षीय गांधीवादी शकुंतला चौधरी का निधन हो गया है। यहां सरानिया आश्रम में उनकी देखभाल करने वाले लोगों ने बताया कि उनका पिछले 10 वर्षों से इलाज चल रहा था और रविवार रात को उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया। वह दशकों से इसी आश्रम में रह रही थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जताया दुख
उन्होंने बताया कि उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए आश्रम में रखा गया है और उनका अंतिम संस्कार सोमवार को यहां नबगृह शवदाहगृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया और कहा कि गांधीवादी मूल्यों में दृढ़ विश्वास रखने के लिए उन्हें याद किया जाएगा।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘शकुंतला चौधरी जी को गांधीवादी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उनके जीवनभर के प्रयासों के लिए याद किया जाएगा। सरानिया आश्रम में उनके नेक काम ने कई लोगों की जिंदगियों पर सकारात्मक असर डाला। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार तथा असंख्य प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ओम शांति।’’
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी उनके निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘गांधीवादी और पद्म श्री शकुंतला चौधरी के निधन से बहुत दुखी हूं। उनका जीवन सरानिया आश्रम, गुवाहाटी में निस्वार्थ सेवा, सच्चाई, सादगी और अहिंसा के प्रति समर्पित रहा, जहां महात्मा गांधी 1946 में रहे थे। उनकी सद्गति की प्रार्थना करता हूं। ओम शांति।’’ राज्य के मंत्रियों केशब महंत और रानोज पेगू ने सरानिया आश्रम में सरकार की ओर से चौधरी के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
यह भी पढ़ें- हापुड़ में पुलिस ने तमंचा बनाने वाली फैक्ट्री का किया खुलासा
गुवाहाटी में जन्मी शकुंतला पढ़ाई में काफी अच्छी थीं और गुवाहाटी के टीसी स्कूल में अध्यापन के दौरान ही वह अन्य गांधीवादी अमलप्रोवा दास के संपर्क में आयी, जिनके पिता ने सरानिया हिल्स की अपनी संपत्ति आश्रम बनाने के लिए दान में दे दी थी। दास ने चौधरी से ग्राम सेविका विद्यालय चलाने और कस्तूरबा गांधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट (केजीएनएमटी) की असम शाखा के प्रबंधन में मदद करने का अनुरोध किया था। इसके बाद वह कार्यालय सचिव बन गयी और उन्हें ट्रस्ट के प्रशासन का जिम्मा दिया गया।