Tejashwi Yadav Meeting : बिहार विधानसभा चुनाव में महज 6 सीटें जीतकर कांग्रेस ने अपना अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया। 243 सीटों वाले बिहार में 2015 में 27 और 2020 में 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार पूरी तरह धराशायी हो गई। हार के बाद समीक्षा बैठक हुई, लेकिन उसमें भी कांग्रेस ने अपनी गलतियों को मानने के बजाय वही पुराना राग अलापा – ‘चुनाव आयोग ने धांधली की, केंद्र सरकार ने पैसे बांटे’। वहीं तेजस्वी यादव आज अपने अवास पर पहले राजद के जीते हुए विधायकों और बाद में पूरे महागठबंधन के विधायकों के साथ दो बड़ी बैठकें करेंगे।

समीक्षा बैठक में गाली-गलौज, धमकी तक की नौबत
दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में हुई बैठक में बिहार के नेताओं ने एक-दूसरे पर कीचड़ उछाला। खबरें आईं कि बातें गाली-गलौज और ‘गोली मार दूंगा’ जैसी धमकियों तक पहुंच गईं। लेकिन बाहर आकर कोई भी नेता इसकी पुष्टि नहीं करना चाहता। सब चुप्पी साध गए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी वही पुराना बहाना
बैठक के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने प्रेस से बात की। जिसमें उन्होंने कहा कि
‘वोट खरीदी हुई’
‘चुनाव आयोग ने SIR (Summary Revision) के जरिए वोट चोरी कराई’
‘किसानों-महिलाओं को वोटिंग के दिन पैसे बांटे गए’
अपनी गलतियों पर एक शब्द नहीं! टिकट बंटवारे की गड़बड़ी, कैंडिडेट चयन में भाई-भतीजावाद, प्रचार में अनुपस्थिति – इन सब पर खामोशी।
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टिकट बंटवारे की गलती भी मानी नहीं
कई सीटों पर महागठबंधन के अंदर ही दो-दो उम्मीदवार खड़े हो गए थे। एनडीए ने पूरे प्रचार में यही मुद्दा उछाला कि ‘महागठबंधन में एकता नहीं, बिहार कैसे चलाएंगे?’

दूसरी तरफ तेजस्वी यादव का प्लान रेडी
इधर हार के बावजूद तेजस्वी यादव पूरी तरह एक्टिव हैं। दिल्ली से लौटते ही आज दो बड़ी बैठकें कर रहे हैं:
राजद के जीते हुए विधायकों और पूरे महागठबंधन के विधायकों के साथ करेंगे।
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इन बैठकों में महागठबंधन के विधायक दल का नेता भी चुना जाएगा। यानी तेजस्वी विपक्ष की भूमिका को मजबूत करने में जुट गए हैं, जबकि कांग्रेस अभी भी बहाने बना रही है।

कांग्रेस का अस्तित्व ही खतरे में?
कांग्रेस पिछले 10 साल से हर हार के बाद यही कर रही है – सिर रेत में छुपाओ, खतरा अपने आप चला जाएगा। लेकिन सच तो यह है कि 2014 के बाद लोकसभा में 40-50 सीटों पर सिमटने वाली पार्टी अब विधानसभा चुनावों में भी 10 से कम सीटें जीत रही है।
अब पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु जैसे बड़े चुनाव आने वाले हैं। अगर यही रवैया रहा तो कांग्रेस का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
कांग्रेस को समझना होगा – जनता ईवीएम, चुनाव आयोग या मोदी को नहीं, अपनी पार्टी को वोट देती है। जब तक खुद की कमियां नहीं सुधारेंगी, तब तक हर हार के बाद यही रोना-धोना चलता रहेगा।
