तराई के जिले पीलीभीत के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है कि जब विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने किसी मुस्लिम चेहरे को प्रत्याशी नहीं बनाया है जिससे मुस्लिम दावेदारों में मायूसी देखी जा रही है दूसरी राजनीतिक पार्टियो को छोड़कर सपा टिकट पाने की चाहत में शामिल होने वाले कई मुस्लिम दावेदारों के बगावती तेवर अपनाने के आसार दिखाई देने लगे हैं वहीं इस मामले को लेकर राजनीतिक जानकारों का मत है कि समाजवादी पार्टी हाईकमान ने टिकट बांटने में जोखिमभरा निर्णय लिया है।
जनपद में पीलीभीत सदर विधानसभा सीट पर पांच बार विधायक चुने गए पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद समाजवादी पार्टी में एक मजबूत मुस्लिम चेहरा रहे थे यही वजह थी कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाजी रियाज अहमद को सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रदेशाध्यक्ष सभा के प्रदेशाध्यक्ष पद नवाजा था।
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हाजी रियाज अहमद के निधन के बाद समाजवादी पार्टी का टिकट पाने के लिए मुस्लिम दावेदारों की लंबी फेहरिस्त हो गई थी जिनमें कई मुस्लिम नेता तो दूसरे दलों को छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे लेकिन बीती शाम प्रत्याशियों की घोषणा से इन दावेदारों को तगड़ा झटका लगा है।
आरती राणा