उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के नाम पर 20 मार्च तक मुहर लग सकती है। भाजपा प्रदेश संगठन की तरफ से नव निर्वाचित विधायकों को होली के बाद देहरादून में उपलब्ध रहने के निर्देश दिए जा रहे हैं। उत्तराखंड में 10 मार्च को बहुमत मिलने के बावजूद भाजपा हाईकमान ने नेता सदन के चयन की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। समझा जा रहा है कि 17 मार्च तक होलाष्टक होना इसका मुख्य कारण है। इसे साथ ही हाईकमान नया मुख्यमंत्री चुनने में पिछली बार की तरह तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने जैसी स्थितियों को इस बार नहीं आने देना चाहता। इसलिए नए नेता के चुनाव में पार्टी हर एंगल पर काम कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि भाजपा उत्तराखंड चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दिल्ली में हाईकमान को अपनी रिपोर्ट दे दी है। नेता सदन के चयन में देरी से मुख्यमंत्री दौड़ में शामिल चेहरों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल समेत कई नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं। जबकि, कुछ नेता प्रदेश में ही विधायकों की घेराबंदी में जुटे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए विधायकों की ओर से सीट ऑफर करने और उनसे मुलाकात का सिलसिला तेज हो गया है।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि नेता सदन के चयन को लेकर पर्यवेक्षकों की नियुक्तियां होनी बाकी हैं। दो दिन पहले सोशल मीडिया में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान को पर्यवेक्षक बनाने की चर्चाएं चली थी। लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि अभी किसी पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है।
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19 या 20 को विधायक दल की बैठक
पार्टी सूत्रों ने बताया कि हाईकमान होली के बाद ही विधायक दल की बैठक बुलाने के पक्ष में है। इससे माना जा रहा है कि 19 या 20 मार्च को विधायक दल की बैठक बुलाई जा सकती है, जिसमें नेता सदन के नाम पर मुहर लगाई जाएगी। यह बैठक भाजपा मुख्यालय में होने की उम्मीद है। उत्तराखंड में सरकार गठन की डेडलाइन 23 मार्च तक है ।