उत्तराखंड के 1983 राजस्व गांव में अब पुलिस क्षेत्राधिकार
उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य के 1983 राजस्व गांवों को नियमित पुलिस क्षेत्राधिकार में शामिल करने का निर्णय लिया है। उच्च न्यायालय के आदेश और मंत्रिमंडल के निर्णयों के अनुरूप लागू किए जा रहे इस फैसले से अब ग्रामीण व सीमांत इलाकों में सीधी पुलिस व्यवस्था लागू होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस कदम से कानून व्यवस्था मजबूत होगी, अपराधों पर नियंत्रण मिलेगा और त्वरित न्याय की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। उन्होंने इसे जनता की सुरक्षा और विश्वास बढ़ाने वाला निर्णय बताया, जो प्रदेश में एक सुरक्षित और स्वच्छ सामाजिक वातावरण बनाने में सहायक होगा और पुलिस व्यवस्था को अधिक प्रभावी व जवाबदेह बनाएगा।मुख्यमंत्री धामी बोले—कानून व्यवस्था होगी और मजबूत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस ऐतिहासिक निर्णय से प्रदेश की कानून व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी। उन्होंने बताया कि इस कदम से जनता की सुरक्षा और विश्वास में वृद्धि होगी तथा एक सुरक्षित और स्वच्छ सामाजिक वातावरण तैयार होगा। सीएम धामी ने कहा कि पुलिस व्यवस्था अब अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनेगी। गौरतलब है कि उत्तराखंड में स्वतंत्रता से पूर्व चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है। इसके तहत राजस्व गांवों को क्रमबद्ध तरीके से नियमित नागरिक पुलिस क्षेत्राधिकार में लाया जा रहा है। योजना के अनुसार, प्रदेश के लगभग 4200 गांवों को नियमित पुलिस के दायरे में शामिल किया जाएगा, जिसके लिए नौ नई पुलिस चौकियां और 44 थाने खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है और इस पर कार्यवाही जारी है।लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)









