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उत्तराखंड को चाहिए विकास की बूस्टर डोज, वित्त आयोग की संस्तुतियों से हल्का होगा बोझ …. यह है राज्य अपेक्षाओं के लिए वित्तिय सहायता
उत्तराखंड सरकार ने वर्तमान में 16वें वित्त आयोग से विकास की बांह थामने के लिए 44 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तिय सहायता मांगी है। आपको बता दें कि यह वित्तिय सहायता उत्तराखंड के 20 विभागों के लिए मांगी गई है ताकि सामाजिक-आर्थिक विषमता को दूर किया जा सके। इससे पहले 15वें वित्त आयोग ने राज्य को 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी थी और इस बार 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक की उम्मीद है।
उत्तराखंड को चाहिए बूस्टर डोज
उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है, प्राकृतिक सौंदर्य की गोद में बसा यह राज्य अपनी एक अलग कहानी बयां करता है लेकिन, आर्थिकी के चमकदार आंकड़ों के नीचे एक ऐसा भी उत्तारखंड बसता है, जो न केवल सामाजिक बल्कि आर्थिक विषमता जैसे दंश को वर्षों से झेल रहा है। उत्तराखंड में विकास होना भी चाहे तो विकास की जनाकांक्षा पर पर्यावरणीय अवरोध भारी पड़ते हैं। मध्य और उच्च हिमालय में लगभग 10 जिलों को अपनी बाहों में समेटे इस भू-भाग को अवस्थापना विकास के लिए अतिरिक्त सहायता की बूस्टर डोज चाहिए। इन्ही सब बिंदुओं को आधार बनाकर 20 विभागों ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष लगभग 44 हजार करोड़ की मांग रखी है।वित्त आयोग की संस्तुतियों से हल्का होगा बोझ
उत्तराखंड को इससे पहले 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर राज्य को 85 हजार करोड़ से अधिक की वित्तीय सहायता मिली। माना जा रहा है कि वर्तमान समय में वित्त आयोग की संस्तुतियों पर अगले पांच वर्ष के लिए मिलने वाली सहायता 90 हजार करोड़ को पार कर सकती है। 16वां वित्त आयोग के अध्यक्ष डा अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में आयोग का दल तीसरे व अंतिम दिन बुधवार को नैनीताल में भ्रमण करेगा। आयोग की संस्तुतियों के आधार पर वित्तीय वर्ष 2026-27 से अगले पांच वर्षों के लिए केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी और मिलने वाले केंद्रीय अनुदान का निर्धारण होना है। गत सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य का मैमोरंडम आयोग को सौंप चुके हैं। दरअसल, उत्तराखंड में हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर, नैनीताल और देहरादून को छोड़कर शेष नौ जिले पर्वतीय हैं। पर्यटन, जलविद्युत परियोजना, वानिकी-बागवानी, प्राकृतिक-जैविक खेती की जिन संभावनाओं के बूते उत्तराखंड अपने पैरों पर खड़ा होने के सपने बुन रहा है, उनका गर्भस्थल मुख्य रूप से ये नौ जिले हैं। आपको बता दें कि यही वे नौ जिले हैं जिन्हें केंद्र में रखकर विभागों ने वित्तीय सहायता के जो प्रस्ताव दिए हैं, वे लगभग 44 हजार करोड़ के हैं। इन विभागों में वन, पेयजल, ऊर्जा, पर्यटन, कृषि, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, चिकित्सा, शिक्षा, लोक निर्माण, कौशल विकास, आपदा प्रबंधन, उद्योग, समाज कल्याण, सिंचाई, शहरी विकास, नियोजन आबकारी, परिवहन व गृह सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड सरकार ने विकास कार्यों में पर्यारवरणीय अवरोधों के कारण जल और वन की हानि को कम करने के लिए विशेष अनुदान की मांग की है।यह है राज्य अपेक्षाओं के लिए वित्तिय सहायता
उत्तराखंड सरकार द्वारा इस 16वें वित्त आयोग से सहायता की मांग को लेकर निम्न बिंदुओं पर अपेक्षा प्रकट करी गई है-राज्य विशेष अनुदान, कोस्ट डिसेबिलिटी फैक्टर सहायता, जल संरक्षण के लिए विशेष अनुदान, जलविद्युत परियोजनाओं पर रोक से नुकसान की भरपाई, फ्लोटिंग पोपुलेशन के लिए विशेष अनुदान, आबादी के साथ क्षेत्रफल को बनाएं मानक, उद्योगों के लिए सहायता… जबकि वहीं उत्तराखंड के 20 विभागों की योजनाओं को 15वें वित्त आयोग की ओर से कुछ इस प्रकार वित्तिय सहायता प्राप्त हुई-केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी, 47,234, स्वास्थ्य 797, आपदा प्रबंधन 5752, स्थानीय निकाय 3384.लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)