ग्रामीण डैम खाली न करने की जिद पर अड़े। धरना प्रदर्शन व उग्र आंदोलन करने की ग्रामीणों ने दी चेतावनी। आपको बता दें कि शारदा सागर डैम के तट पर लगभग 70 वर्षों से बसे ग्रामीणों को नोटिस जारी कर 14 अप्रैल तक डैम खाली करने हेतु निर्देश दिया गया था जिसका ग्रामीणों पर कोई असर नहीं पड़ा।
वहीं 7 मई को ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण को लेकर आयोजित सांकेतिक जल समाधि को संज्ञान में लेकर उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पीड़ित ग्रामीणों के द्वार पहुंचकर उनको आश्वासन दिया था कि किसी को भी हटाया नहीं जाएगा। जलभराव व जमीन सहित सारी समस्याओं का हल निकाला जाएगा जिस पर ग्रामीणों में काफी खुशी का माहौल था।
वहीं दूसरी तरफ अब सहायक अभियंता सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश राजकुमार के नेतृत्व में टीम द्वारा 13 मई को मय पुलिस बल गांव में पहुंचकर मुनादी कराई गई तथा डैम को अतिशीघ्र खाली करने का निर्देश दिया गया साथ ही बताया गया कि यदि अति शीघ्र डैम खाली नहीं किया गया तो डैम खाली कराने में क्षतिपूर्ति के जिम्मेदार स्वयं ग्रामीण होंगे उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की इस कार्रवाई से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। साथ ही जहां इस कार्रवाई से ग्रामीणों में खलबली और भय का माहौल है वहीं ग्रामीण खासे आक्रोशित और नाराज हैं।
ग्रामीणों ने चेतावनी दिया है कि यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो धरना प्रदर्शन तथा उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। वहीं स्थानीय ग्रामीण बलदेव गौतम तथा शीला देवी ने बताया कि लगभग 70 वर्षों से हम लोग यहां बसे हुए हैं और सारी सरकारी सुविधाएं हमें प्राप्त है। उत्तराखंड उत्तर प्रदेश के बीच डैम का बंटवारा भी नहीं हुआ है। वहीं उन्होंने कहा कि 9 मई को उत्तराखंड मुख्यमंत्री धामी जी द्वारा गांव में आकर आश्वासन दिया गया कि किसी को हटाया नहीं जाएगा।
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वहीं सहायक अभियंता सिंचाई विभाग राज कुमार ने बताया कि डैम के अतिक्रमणकारियों को पहले से ही डैम खाली करने का नोटिस दिया गया था 14 मई को अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी लेकिन डैम खाली नहीं किया गया इसलिए मुनादी कराई जा रही है।