योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के परम शाखाओं में शामिल स्वामी मुक्तानंद को पूरे सम्मान के साथ शनिवार शाम अंतिम विदाई दे दी गई। योग गुरु बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण ने नम आंखों से मुखाग्नि दी इस दौरान आचार्य बालकिशन की आंखों से भी आंसू लगातार टपकते रहे। पतंजलि के गठन से लेकर अब तक आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले स्वामी मुक्तानंद को अंतिम विदाई देने संत समाज के साथ पतंजलि से जुड़े सैंकड़ों कार्यकर्ता और आम जनमानस श्मशान घाट पहुंचा।
शुक्रवार रात हृदय गति रुकने से ब्रह्मलीन हुए स्वामी मुक्तानंद योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के कितने करीब थे इस बात का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि संत होने के बावजूद बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण ने स्वामी मुक्तानंद के तमाम अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से किए।
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कनखल स्थित बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के कृपालु बाग आश्रम से सैकड़ों की संख्या में लोग शव यात्रा में शामिल हुए। मुख्य बाजार से होती हुई शव यात्रा कनखल स्थित श्मशान घाट पहुंची। जहां पर स्थानीय लोगों के साथ पतंजलि से जुड़े कर्मचारी और हरिद्वार के कई बड़े संत महंत अपने प्रिय को अंतिम विदाई देने पहुंचे। योग गुरु बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण ने स्वयं अपने हाथों से अपने सखा के तमाम अंतिम कर्मकांड संपन्न किए। रामदेव ने ही स्वामी मुक्तानंद की चिता को मुखाग्नि दी इस दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण अपनी आंखों से आंसुओं के बहने के सिलसिले को रोक ना पाए।