बिहार के मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के विफल होने के बाद मरीजों को अपने नेत्र खोने वाले पहले मरीजों कि संख्या 6 थी किंतु बुधवार को 9 नए मरीज शामिल होने से यह संख्या 15 हो गई है। इस मामले को जानने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने चार हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है।
आयोग के अनुसार आई चिकित्सालय में असफल सर्जरी के बाद श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पीड़ितो के नेत्र निकाले पड़े। साथ ही इन्फेक्शन के चलते सर्जरी करवाने वाले दूसरे मरीजों कि भी आंखें निकालनी पड़ सकती है। मेडिकल प्रोटोकॉल के हिसाब से एक डॉक्टर केवल 12 सर्जरी कर सकता है किंतु इस केस मे 65 मरीजों कि सर्जरी हुई है। आयोग ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव से विस्तार मे जानकारी मांगी है।
जानकारी के अनुसार 22 नवंबर को आई हॉस्पितल में मुजफ्फरपुर सहित नज़दीकी जिले से आए मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के तीन दिन पश्चात उनकी आंखों में दिक्कत होनी शुरु हो गई। अस्पताल प्रबंधन से शिकायत करने पर प्रबंधन ने जल्दबाज़ी में चार लोगों की आंखे निकाल दी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को इस मामले कि जानकारी मांगने पर ऑपस्ताल प्रशासन घबराने लगा। साथ ही सीएस डॉ. विनय कुमार शर्मा टीम के साथ स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह सहित कई अन्य आला अधिकारियों के फोन करने के बाद हॉस्पिटल पहुंचे।
डीएम ने हरजाने कि घोषणा
बता दें कि मुख्यालय के पूरी जानकारी मांगने पर घटना के समक्ष आने तीन दिन पश्चात बुधवार को सीएस ने आई हॉस्पिटल को चिट्ठी लिखकर पीड़ितों का रिकार्ड एवं चिकित्सालय से जुड़े कागज़ात मांगे। साथ ही डीएम ने पीड़ितों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से हरजाना देने घोषणा कि है।
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जांच के लिए एक कमेटी का किया निर्माण
सीएस डॉ. विनय कुमार के अनुसार पूरे मामले कि जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। साथ ही कई बिंदुओं पर प्रशासन को समन जारी किया है। संजय कुमार ने जिला प्रशासन व सिविल सर्जन को इस केस में आई चिकित्सालय के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए है। वहीं संजय तथा डॉ. विनय के अनुसार ऑपरेशन थियेटर(ओटी) को बंद करने के बाद सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरणों तथा ओटी से आंखो की सफाई करने के लिक्विड के नुमने लेकर माइक्रोबॉयलॉजी लैब में जांच के लिए भेजे गए हैं। साथ ही ऐसी और घटना कि सूचना नहीं मिली है।
अंजली सजवाण