Babri Masjid Controversy

Babri Masjid Controversy : हुमायूं कबीर के ऐलान पर JDU का कड़ा एतराज

Babri Masjid Controversy : हुमायूं कबीर के ऐलान पर JDU का कड़ा एतराजपश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा इलाके में बाबरी मस्जिद जैसी नई मस्जिद बनाने का विवाद खड़ा हो गया है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने इसकी नींव रखने का ऐलान किया था, जो बाबरी विध्वंस की बरसी पर था। इस कदम ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। TMC ने उन्हें निलंबित कर दिया, लेकिन कबीर पीछे नहीं हटे। अब बिहार की सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भी इस पर सख्त रुख अपनाया है। पार्टी के सांसद रामप्रीत मंडल ने कहा कि पुरानी बातों को ताजा करना देश की एकता के खिलाफ है।

विवाद की शुरुआत: हुमायूं कबीर का ऐलान

बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी। उसी तारीख पर हुमायूं कबीर ने बेलडांगा में बाबरी जैसी मस्जिद बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘यह 1992 के दर्द को याद करने का तरीका है।’ उनके समर्थक सिर पर ईंटें लेकर जमा हुए। कबीर ने बताया कि मस्जिद बनाने में तीन साल लगेंगे और कई मुस्लिम नेता इसमें शामिल होंगे। लेकिन यह ऐलान TMC के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया। पार्टी ने कहा कि यह धार्मिक राजनीति है। कबीर पहले कांग्रेस में थे, 2012 में TMC में आए, लेकिन अब नया दल बनाने की बात कर रहे हैं।

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TMC का फैसला, विधायक निलंबित

TMC ने हुमायूं कबीर को निलंबित कर दिया। कोलकाता मेयर फिरहाद हकीम ने कहा, ‘हमने चेतावनी दी थी। अचानक बाबरी मस्जिद क्यों? पार्टी ने सख्त कदम उठाया।’ ममता बनर्जी ने बहरामपुर रैली में कहा, ‘मुर्शिदाबाद के लोग सांप्रदायिक राजनीति का साथ नहीं देते।’ TMC ने स्पष्ट किया कि निलंबन बाबरी प्लान के लिए नहीं, बल्कि एंटी-पार्टी गतिविधियों के लिए था। कबीर ने कहा, ‘मैं पार्टी अनुशासन मानूंगा, लेकिन कार्यक्रम होगा।’ वे 8 दिसंबर तक विधायक पद से इस्तीफा देकर 22 दिसंबर को नया दल लॉन्च करेंगे।

कोर्ट का रुख: शिलान्यास पर कोई रोक नहीं

कलकत्ता हाईकोर्ट ने कबीर के शिलान्यास पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, ‘हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे।’ लेकिन कोर्ट ने राज्य सरकार को शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी। बेलडांगा में भारी सुरक्षा तैनात की गई। अप्रैल 2025 में वक्फ बिल पर दंगे हो चुके हैं, जिसमें तीन लोग मारे गए थे। गवर्नर सीवी आनंद बोस ने भी TMC से कार्रवाई की मांग की थी। कबीर के समर्थकों ने पोस्टर लगाए, लेकिन कुछ जगहों पर उन्हें फाड़ दिया गया।

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JDU की कड़ी प्रतिक्रिया

बिहार की JDU ने विवाद पर तीखा रुख अपनाया। झंझारपुर से सांसद रामप्रीत मंडल ने कहा, ‘अब गड़े मुर्दे उखाड़ने की जरूरत नहीं। अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है। ऐसे कदम सामाजिक सद्भाव बिगाड़ते हैं।’उन्होंने कबीर को नसीहत दी,’देश आगे बढ़ रहा है। पुरानी बातें दोहराने से कुछ नहीं मिलेगा।’ मंडल ने अपील की कि सभी दल धार्मिक मुद्दों से ऊपर उठें। JDU के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा,’यह धार्मिक तनाव बढ़ाने वाली कोशिश है। नीतीश कुमार की सरकार सद्भाव और विकास पर जोर देती है।’JDU ने बंगाल से बिहार तक एकता का संदेश दिया।

अन्य दलों की प्रतिक्रियाएं

बीजेपी ने TMC पर तीखा प्रहार किया। कहा, ‘ममता ध्रुवीकरण की आग से खेल रही हैं।’ यह विभाजन बढ़ाएगा।’ विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद 2026 के विधानसभा चुनावों में TMC के लिए नुकसानदेह साबित होगा। मुर्शिदाबाद में मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं, लेकिन सांप्रदायिक तनाव से BJP को फायदा हो सकता है।

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राजनीतिक प्रभाव: 2026 चुनावों पर असर

यह घटना बंगाल की राजनीति को गरमा रही है। TMC पहले ही वक्फ बिल पर दंगों से जूझ चुकी है। कबीर का बगावती तेवर पार्टी के लिए चुनौती है। वे 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कर रहे हैं।

JDU का बयान NDA के एकजुट होने का संकेत है। जानकार कहते हैं, ‘धार्मिक मुद्दे चुनावी हथियार बन सकते हैं। TMC को सतर्क रहना होगा।’ अब सवाल है कि शिलान्यास होगा या नहीं। अगर हुआ, तो तनाव बढ़ेगा। सरकार ने छुट्टी घोषित की है, लेकिन शांति बनाए रखना बड़ी चुनौती है।

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