CBI has filed a case in this controversial case of Dehradun, know what is the matter
देहरादून के विवादित अंगेलिया हाउसिंग मामले में हाईकोर्ट के तीन फर्जी आदेश बनाने के मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया। हाईकोर्ट रजिस्ट्री विभाग के अज्ञात अफसरों और पांच नामजद आरोपियों पर यह कार्रवाई की गई। इन फर्जी आदेशों से देहरादून के आसपास सात हजार बीघा जमीन को कुछ लोगों ने अपने नाम करा लिया था। इस मामले में अंगेलिया हाउसिंग के डायरेक्टर की और से 2013 में हाईकोर्ट को शिकायत की गई थी। हाईकोर्ट ने गत वर्ष नवंबर को सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
अंगेलिया हाउसिंग कंपनी की जमीन से जुड़े मामले में हाईकोर्ट में 2004 में एक केस दायर हुआ था। इस याचिका के विचाराधीन रहते देहली कंपनी लॉ बोर्ड प्रिंसिपल बेंच दिल्ली हाईकोर्ट में भी अंगेलिया हाउसिंग कंपनी की याचिका विचाराधीन थी।
आरोप है कि इसी बीच एक पक्षकार मौसमी भट्टाचार्यजी निवासी विद्युत निकुंज पटपड़गंज दिल्ली ने अपने साथियों के साथ खुद को फायदा पहुंचाने के लिए हाईकोर्ट के तीन फर्जी आदेश बनाकर निचली अदालत में लगवा दिए। कुछ साल बाद कंपनी डायरेक्टर संतोष कुमार बंगला को इसका पता चल गया। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से शिकायत की गई।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने इसकी जांच कराकर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। रजिस्ट्रार जनरल ने 2013 में ही इस मामले में मल्लीताल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में यह मुकदमा दिल्ली ट्रांसफर किया गया। हाईकोर्ट की अगली कार्यवाही से पहले दिल्ली पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की क्रिमिनल रिट याचिका के रूप में सुनवाई की। इसी बीच कंपनी डायरेक्टर ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर सीबीआई जांच का अनुरोध किया।
पूर्व में कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिए थे कि इस मामले की जांच इन हाउस करें। जांच करने पर कोर्ट का कोई आदेश हाईकोर्ट की फाइल में नहीं पाया गया, जिसकी रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की।
तब पता चला कि तीनों आदेश फर्जीवाड़े से बनाए गए। इसमें हाईकोर्ट के रजिस्ट्री विभाग के कुछ अधिकारियों के शामिल होने का शक है। इस मामले में सीबीआई की देहरादून शाखा में आरोपी मौसमी भट्टाचार्यजी, धरमपाल यादव, कलिराम यादव, नरेश शास्त्रीनगर मेरठ और अवधेश कुमार को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इसमें हाईकोर्ट के रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों के नाम अज्ञात हैं।