हरिद्वार जिले में सहकारी समितियों के सदस्य किसानों को रोजगार करने के लिए एक लाख रुपये का बिना ब्याज ऋण देने की योजना राज्य सरकार ने शुरू की थी। लक्सर के झींवरहेड़ी निवासी विनय सैनी ने गांव की बहुउद्देशीय साधन सहकारी समिति से इस योजना के तहत लाभान्वित किसानों के नाम की सूचना मांगी थी।
सूचना में बताया गया कि समिति ने कुल 15 किसानों को 15 लाख रुपये का ऋण बांटा गया है। लाभार्थियों की सूची देखने के बाद विनय सैनी ने सरकारी पैसे की बंदरबांट करने का आरोप लगाते हुए हरिद्वार के एआर को शिकायती पत्र भेजा है। नियम के अनुसार बोर्ड के संचालक मंडल में शामिल लोगों को इस ऋण योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद समिति के सभापति व कई सदस्यों को इसी मद से ऋण दे दिया गया है।
आरोप है कि बाकी के तेरह लाभार्थी व संचालक मंडल के सदस्यों के परिवार के ही लोग हैं। एक तो बैंक कर्मचारी की पत्नी है जानकारी के अनुसार बैंक कर्मचारी की पत्नी के नाम जमीन तक नही है शिकायतकर्ता ने मामले की जांच कराकर समिति की बोर्ड भंग व ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग एआर से की है। शिकायतकर्ता की माने तो हरिद्वार जिले की सभी समितियों पर इस तरह की बंदरबांट करने की बू नजर आ रही है शिकायतकर्ता का कहना है कि ऐसी तमाम समितियों पर जहां अपने परिचित वह नामित सदस्यों के नाम छोटे किसानों के नाम का लोन लेकर बंदरबांट की गई है उनके खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई करें।
वहीं समिति से जुड़े किसानों का कहना है कि समिति पर कर्मचारी व बोर्ड में नामित सदस्यों ने अपने व अपने परिचितों के नाम इस लोन को वाटर बंदरबांट की है छोटे किसानों को इस लोन का लाभ नहीं मिल सका।
समिति के एमडी सुरेश कुमार ने दी सभापति पर सदस्यों को योजना का लाभ देने की पुष्टि की है उनका कहना है कि जिन लोगों ने निर्धारित अवधि के भीतर इस योजना के लोन लेने के लिए आवेदन किया था उन्हीं को लोन दिया गया है।
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लेकिन सवाल खड़ा होता है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार अंतिम छोड़ के व्यक्ति को लाभ देने की बात कह रही है उन्हीं की सरकार के कुछ नुमाइंदे इसको पलीता लगाते नजर आ रहे हैं जिसका जीता जागता उदाहरण ज्वार खान उर्फ जीवा रेडी की सहकारी समिति में देखने को मिल रहा है क्या ऐसे कर्मचारी और नामित सदस्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या यह भी मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।