JK: मोदी सरकार ने पाकिस्तान का पानी किया बंद, रावी नदी पर बनाया शाहपुर कंडी बांध
रावी नदी का पानी अब पाकिस्तान नहीं जाएगा। पंजाब में शाहपुर कंडी बांध के गेट बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही बांध में जल भंडारण आरंभ हो गया है। इस बांध में करीब 400 फुट तक जलभंडारण होने के बााद ही पानी सिंचाई के लिए दिया जाएगा। इससे जम्मू और कश्मीर की 32 हजार और पंजाब की 5 हजार हेक्टेयर भूमि को पानी मिलेगा। इस परियोजना से 200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
इस बांध से अब जम्मू-कश्मीर को 1150 क्यूसेक और पंजाब को 200 क्यूसेक पानी मिलेगा। जम्मू-कश्मीर में अभी 1378 मीटर लंबी नहर का निर्माण चल रहा है। निर्माण के साथ ही जम्मू-कश्मीर के किसानों को पानी मिलना शुरू हो जाएगा। नदियों के पानी को लेकर हुए समझौते के मुताबिक रावी के पानी पर भारत का पूरा हक है। बांध न होने के कारण रावी नदी का लगभग 2 मिलियन एकड़ फीट पानी माधोपुर के नीचे पाकिस्तान में बह जा रहा था।
जम्मू-कश्मीर को पानी दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने 2018 में शाहपुर-कंडी परियोजना का शिलान्यास किया। यह बांध 2793 करोड़ रुपए की लागत से पूरी तरह से बनकर अब तैयार हो गया है। 1979 में रणजीत सागर बांध के निर्माण के दौरान जम्मू-कश्मीर के किसानों को उनके हक का पानी दिलाने का वादा किया गया था लेकिन पंजाब वादे से पलट गया।
जम्मू-कश्मीर के हक का पानी दिलाने के लिए 1996 में 60 किलोमीटर लंबी रावी-तवी नहर का निर्माण किय गया। नहर का तो निर्माण हो गया लेकिन बांध न होने के कारण पानी नहीं मिल पा रहे था। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। इसके बाद यह मामला सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के संज्ञान में आया। फिर केंद्र ने बांध परियोजना के लिए सहायता दी और अब बांध ने पाकिस्तान का पानी बंद कर दिया गया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि हुई थी। इस संधि के मुताबिक रावी, सतलुज और ब्यास नदी के पानी पर भारत का और सिंधु, झेलम और चिनाब पर पाकिस्तान का हक है। बांध न बनाए जाने के कारण रावी का पानी भी पाकिस्तान जा रहा था। अब भारत अपने हिस्सेदारी का पूरा प्रयोग करेगा। रावी के पानी से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के किसानों की भूमि सिंचित होगी।
रावी नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश राज्य के रोहतांग दर्रे के पास से होता है। यह नहींद हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, और पंजाब से होकर यह नदी पाकिस्तान तक जाती है। यह नदी भारत के एक बड़े भूभाग में यात्रा करते हुए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पहुंचती है।