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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक को बताया गैरकानूनी

समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनों को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है। इसमें देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से उनके धर्म और लिंग के आधार पर बगैर भेदभाव के लागू करने की योजना है। केंद्र सरकार द्वारा देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) जारी करने जा रहें हैं इसी बीच मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसका विरोध जाहिर हुए इसे संविधान व अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया है।

केंद्र सरकार के साथ ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश सरकारों ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने की इच्छा जताई है। रहमानी ने कहा कि संविधान में अल्पसंख्यकों व आदिवासी जातियों को अपनी इच्छा व परंपरा के अनुसार विभिन्न पर्सनल लॉ की इजाजत दी गई है। बोर्ड ने अपने बयान में कहा कि उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकारों द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास केवल लोगों में नफरत और जातिवाद फैलाना है, और इनका प्रयास जनता का ध्यान महंगाई ,बेरोजागारी, गिरती अर्थव्यवस्था से हटाने का हैं।

बोर्ड ने कहा कि वह सरकार से अपील करता है कि वह ऐसे कार्यों से बचे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि समान नागरिक संहिता (UCC) बनाने के लिए एक उच्चाधिकार समिति बनाई जाएगी, जो इसका प्रारूप तैयार करेगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सोमवार को कहा कि राज्य में यूसीसी लागू करने की जांच हो रही हैं।

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समान नागरिक संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनों को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है। इसमें देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से उनके धर्म और लिंग के आधार पर बगैर भेदभाव के लागू करने की योजना है। इसमें देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से उनके धर्म और लिंग के आधार पर बगैर भेदभाव के लागू करने की योजना है।

प्रिया चाँदना

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