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देहरादून : जल्द होगा इन स्कूलों के भविष्य का फैसला

देहरादून : अटल रहेंगे प्रदेश के 189 अटल उत्कृष्ट स्कूल, सिर्फ बदलेगा बोर्ड, एससीईआरटी तैयार करेगी प्रस्तावशिक्षा सचिव रविनाथ रमन के मुताबिक, अटल स्कूल को लेकर अलग-अलग तीन प्रस्ताव हैं। पहला इन स्कूल को उत्तराखंड बोर्ड कर दिया जाए। दूसरा सीबीएसई पैटर्न को 10वीं और 12वीं के बजाए अब छठवीं कक्षा से लागू किया जाए। प्रदेश के 189 अटल उत्कृष्ट स्कूल अटल ही रहेंगे, सिर्फ बोर्ड बदलेगा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध अंग्रेजी माध्यम से चल रहे यह स्कूल पहले की तरह इसी माध्यम से चलते रहेंगे, लेकिन स्कूल का बोर्ड, उत्तराखंड बोर्ड कर दिया जाएगा।राजकीय शिक्षक संघ की इन स्कूलों को दोबारा उत्तराखंड बोर्ड में लाने की मांग के बाद विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन के मुताबिक, इन स्कूल को लेकर अलग-अलग तीन प्रस्ताव हैं। पहला इन स्कूल को उत्तराखंड बोर्ड कर दिया जाए। कैबिनेट में लाया जाएगा प्रस्ताव : दूसरा सीबीएसई पैटर्न को 10वीं और 12वीं के बजाए अब छठवीं कक्षा से लागू किया जाए। तीसरा, इन स्कूल में शिक्षकों की तैनाती निजी सेक्टर या अन्य से अच्छे वेतन पर की जाए। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद को इसका प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है, जिसे कैबिनेट में लाया जाएगा। आपको बता दें कि अटल उत्कृष्ट स्कूल के मामले में विभाग के अधिकारियों और प्रधानाचार्यों से बैठक हुई है। इसमें कुछ अहम बातें सामने आई हैं, बच्चे बीच में पढ़ाई न छोड़ें और व्यवस्था को ठीक किया जा सके, इसके लिए छात्र हित में जरूरी कदम उठाए जाएंगे। – रविनाथ रमन, शिक्षा सचिव उत्कृष्ट स्कूल का रिजल्ट खराब… शासन ने भी माना जल्दबाजी करने से हुई गलती सरकार ने 2020 में प्रदेश के विभिन्न राजकीय इंटर काॅलेज बिना किसी तैयारी के अटल उत्कृष्ट स्कूल घोषित कर दिया था। जिन्हें बाद में सीबीएसई से संबद्ध कर दिया गया। जिससे छात्र-छात्राओं को सीबीएसई से पढ़ाई और परीक्षा पैटर्न समझने में दिक्कत आई।प्रदेश के अटल उत्कृष्ट स्कूल का रिजल्ट खराब आने पर शासन भी मान रहा है कि इसे आनन-फानन लागू करने से गलती हुई है। शिक्षा सचिव भी कहते हैं कि सीबीएसई पैटर्न को छोटी कक्षा से लागू किया जाना चाहिए था।दरअसल सरकार ने 2020 में प्रदेश के विभिन्न राजकीय इंटर काॅलेज बिना किसी तैयारी के अटल उत्कृष्ट स्कूल घोषित कर दिया था। जिन्हें बाद में सीबीएसई से संबद्ध कर दिया गया। जिससे छात्र-छात्राओं को सीबीएसई से पढ़ाई और परीक्षा पैटर्न समझने में दिक्कत आई। नतीजा यह रहा कि 12वीं की परीक्षा में आधे छात्र फेल हो गए, जबकि 10वीं का परीक्षा परिणाम भी कुछ खास नहीं रहा। इससे बच्चे निराश हो रहे हैं। शासन का मानना है कि उनकी इस निराशा के चलते वे पढ़ाई छोड़ सकते हैं। वहीं, इन स्कूल में शिक्षकों की तैनाती के नाम पर राज्य के सरकारी स्कूल में बच्चों को पहले से पढ़ा रहे कुछ शिक्षकों को स्क्रीनिंग परीक्षा के माध्यम से लाया गया। इन स्कूल में शिक्षकों की सेवा को लेकर भी दोहरी व्यवस्था बना दी गई। एक ही स्कूल में दो तरह की व्यवस्था से शिक्षकों में नाराजगी है। यही वजह रही कि राजकीय शिक्षक संघ की सभी जिलों की कार्यकारिणी ने इन स्कूल को उत्तराखंड बोर्ड में लाने की मांग की।

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