प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नवंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम पहुंचे। मानगढ़ धाम का प्रभाव तीन राज्यों की 99 विधानसभा सीटों पर माना जाता है। इसमें गुजरात की 27, राजस्थान की 25 और मध्यप्रदेश की 47 सीटें हैं। यह सभी सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इन 3 राज्यों की करीब 40 लोकसभा सीटों पर भी आदिवासी समुदाय का असर माना जाता है।
बता दे कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को देखते हुए पीएम का यह दौरा बेहद अहम है। गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमाएं यहां से नजदीक हैं। गुजरात में इसी वर्ष साल के अंत में चुनाव हैं। जबकि राजस्थान मध्य प्रदेश में अगले साल चुनाव होने हैं पीएम की इस सभा का असर सबसे ज्यादा दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बेल्ट पर देखने को मिलेगा। आदिवासी बाहुल्य जिले बांसवाड़ा की 5 में से 2 ही सीटों पर बीजेपी विधायक हैं। डूंगरपुर की 4 में से 1 ही सीट बीजेपी के पास है। प्रतापगढ़ में 2 में से एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं है। हालांकि उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली, सिरोही में बीजेपी मजबूत है।इनमें जनगणना में आदिवासियों का अलग कॉलम रखने और ट्राइबल कोड की मांग प्रमुख है। आदिवासी क्षेत्रों से जुड़े लोगों के रिजर्वेशन को लेकर कॉमन पॉलिसी बनाने, मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने, वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के भूमि अधिकार सुरक्षित रखने, उनकी संस्कृति को संजोकर रखने, आदिवासी क्षेत्र को केंद्र से विशेष बजट, रोजगार जैसी मांगें महत्वपूर्ण हैं।
मानगढ़ धाम आदिवासियों की आस्था और भक्ति का केंद्र माना जाता है। इस जगह से बेहद दर्दनाक इतिहास जुड़ा है। इसे राजस्थान का जलियांवाला बाग भी कहा जाता है। दरअसल 17 नवंबर 1913 को अंग्रेजों ने मानगढ़ धाम की पहाड़ी को घेरकर अंधाधुंध गोलीबारी की थी जिसमें करीब 1,500 आदिवासी शहीद हो गए थे। आदिवासियों ने अपने समुदाय के संत गोविंद गुरु के नेतृत्व में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी।