उत्तरप्रदेशस्वास्थ्य

सेहत के लिए नई रणनीति अपनाईगी उत्तरप्रदेश सरकार।

प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की नई रणनीति अपनाई गई है। इसके तहत जहां सर्जरी सहित अन्य प्रक्रिया के मरीजों की संख्या कम है, उसकी वजह तलाशी जाएगी। इस रणनीति से चिकित्सा संस्थानों में मरीजों का दवाब भी कम किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के 18 मंडल को पांच हिस्से में बांटा गया है।

  बता दे कि प्रदेश के कई अस्पतालों में सर्जरी के लिए वेटिंग है तो कई अस्पतालों में नाम मात्र के मरीज पहुंच रहे हैं। इसी तरह चिकित्सा संस्थानों में सामान्य सर्जरी सहित अन्य प्रक्रिया के मरीजों के पहुंचने की वजह से डॉक्टर गंभीर मरीजों पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं।  

इस पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ पूरी व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक की। इसमें यवस्था सुधारने की रणनीति तैयार की गई। तय किया गया कि जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचने वाले मरीजों का आकलन किया जाएगा।

 

इसके लिए हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम पोर्टल के डाटा का सहारा लिया जाएगा। इस डाटा के आधार पर हर दिन आने वाले मरीजों, सर्जरी, फीवर डेस्क रिपोर्ट का आकलन किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन पहुंचने वाले सर्जरी और फीवर के मरीजों की संख्या कितनी है? और वहां कितने डॉक्टर कार्यरत हैं और ऑपरेशन थियेटर, ओटी स्टॉफ आदि की व्यवस्था कितनी है? जहां मरीजों की संख्या कम है, वहां पर डॉक्टर व स्टॉफ आदि का भी आकलन होगा।

 

तो वही अस्पतालों की रिपोर्ट का आकलन करने के लिए संयुक्त निदेशक चिकित्सा उपचार डा. किरण मलिक को वाराणसी, कानपुर, लखनऊ मंडल की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह संयुक्त निदेशक चिकित्सा उपचार डा. संतोष गुप्ता को झांसी, देवीपाटन, अयोध्या, गोरखपुर, राज्य कुष्ठ अधिकारी डा. जया देहलवी को मिर्जापुर, आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, संयुक्त निदेशक गोपन डा. योगेश करोली को आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट और संयुक्त निदेशक अभिलेख दर्शन डा. उषा देवी गंगवार को मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की जिम्मेदारी दी गई है।

 

देश के किसी प्रदेश में पहली बार यह नया मॉडल अपनाया गया है। इससे सर्जरी सहित अन्य प्रोसीजर अधिक करने वाले और कम करने वाले अस्पतालों का डाटा तैयार किया जाएगा। जहां मरीजों की संख्या अधिक है, वहां संसाधन बढ़ाया जाएगा। जहां मरीजों की संख्या कम है, उसकी वजह तलाशकर संख्या बढ़वाई जाएगी। और मरीजों को इलाज के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसकी हर माह समीक्षा की जाएगी।

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