Rahul Gandhi punished, will he not be able to contest the 2024 election? Now these are 5 legal options
राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की चुनावी रैली में विवादित बयान दिया था. रैली कर्नाटक के कोलार में थी और उन्होंने मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी. गुजरात के बीजेपी नेता और विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के बयान के खिलाफ केस कर दिया. केस मानहानि का था और सूरत की कोर्ट में किया गया था.
सूरत कोर्ट में गुरुवार सुबह से ही गहमागहमी थी. मानहानि केस में राहुल गांधी पर फैसला आना था. कोर्ट परिसर के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल रखा था. जमकर नारेबाजी हो रही थी. सुबह के करीब 11 बज रहे होंगे, जब राहुल गांधी पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ अदालत में दाखिल हुए. राहुल के पहुंचने के दो मिनट के भीतर अदालत ने उन्हें दोषी करार दे दिया. जब कोर्ट ने ये तय कर दिया कि राहुल गुनहगार हैं, तब सजा को लेकर दोनों ओर से बहस शुरू हुई.
राहुल गांधी को कठघरे में बुलाया गया. अदालत ने पूछा कि आपको क्या कहना है. तब राहुल ने कहा कि मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला, मेरे बयान से किसी को नुकसान नहीं पहुंचा. बाद में उन्होंने कहा कि ये बयान उन्होंने पॉलिटिकल लीडर की हैसियत से दिया. राहुल के बोलने के बाद कोर्ट की कार्यवाही आगे बढ़ी. कोर्ट में मौजूद राहुल गांधी के वकील ने कहा कि उन्हें दया नहीं चाहिए . वो माफी नहीं मांगेंगे.
सजा को लेकर बहस आगे बढ़ी तो राहुल गांधी के वकील ने कहा कि राहुल ने सियासी नेता की हैसियत से भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सांसद कानून तोड़ेंगे तो कैसे चलेगा. ये उनकी पहली गलती है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राहुल को 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी. फिर राहुल के वकील ने कहा कि उनके बयान से किसी को हानि नहीं पहुंची है. तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राहुल गांधी को सख्त सजा मिले. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील की दलील मान ली और राहुल को दो साल की सजा सुना दी.
उधर, राहुल गांधी के लिए सजा का ऐलान होते ही कोहराम मच गया. कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और सत्यमेव जयते का नारा बुलंद किया. तमाम सियासी शोर के बीच सवाल ये भी उठता रहा है कि अब राहुल क्या करेंगे. अब उनके पास विकल्प क्या हैं.
इसको लेकर आजतक/इंडिया टुडे ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि राहुल गांधी के पास फिलहाल कुछ विकल्प हैं, जिनके जरिए वह कोर्ट के आदेश को चैलेंज कर सकते हैं और हो सकता है उन्हें इससे राहत भी मिल जाए. आइए जानते हैं उन विकल्पों के बारे में-
– आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में दी गई कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, दोषसिद्धि के आदेश को उसी उच्च कोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा सकती है, जहां अपील निहित है.
– सीआरपीसी की धारा 374 सजा के खिलाफ अपील का प्रावधान देती है. इसलिए राहुल गांधी अभी सजा के खिलाफ सेशंस कोर्ट के समक्ष ही चुनौती दे सकते हैं.
– यदि सेशंस कोर्ट द्वारा कोई राहत नहीं दी जाती है, तो इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
– जैसा कि मामला कोर्ट के समक्ष लंबित है, वह अपनी सजा पर अंतरिम स्टे और जमानत के रूप में कोर्ट से अंतरिम राहत भी मांग सकते हैं.
अधिवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी को अपनी अपील के साथ सीआरपीसी की धारा 389 के तहत एक आवेदन भी दाखिल करना होगा, जिसमें सजा और दोषसिद्धि को निलंबित करने की मांग की गई हो.
– धारा 389 में अपील लंबित रहने तक सजा के निलंबन और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का प्रावधान है.
– इसमें कहा गया है कि किसी सजायाफ्ता व्यक्ति द्वारा किसी भी अपील को लंबित रखते हुए अपीलीय कोर्ट यह आदेश दे सकती है कि जिस सजा या आदेश के खिलाफ अपील की गई है, उसका निष्पादन निलंबित किया जाए.
– राहुल के पास संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प भी है. अनुच्छेद 136 के तहत, सुप्रीम कोर्ट का भारत में सभी कोर्ट्स और ट्रिब्यूनल्स पर व्यापक अपीलीय क्षेत्राधिकार भी है.
– सुप्रीम कोर्ट अपने विवेक से संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत भारत के क्षेत्र में किसी भी कोर्ट या ट्रिब्यूनल द्वारा पारित या दिए गए किसी भी कारण या मामले में किसी भी निर्णय, डिक्री, निर्धारण, वाक्य या आदेश से अपील करने के लिए विशेष अनुमति दे सकता है.
– हालांकि, ऐसे मामलों में जहां अपील अदालतों के समक्ष होती है और सजा के निलंबन का प्रावधान है, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की संभावना कम ही रहती है.
क्या जाएगी राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता?
– जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता के संबंध में प्रावधान है. आरपी अधिनियम की धारा 8 (3) में कहा गया है कि किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई जाने पर सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा.
– इसके अलावा, व्यक्ति अपनी सजा काटने के बाद छह साल की अवधि के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
– अधिनियम के तहत राहुल गांधी को सांसद के तौर पर तुरंत अयोग्य ठहराया जा सकता है. लोकसभा सचिवालय अयोग्यता का नोटिस जारी कर सकता है और चुनाव आयोग को सूचित कर सकता है कि उनकी सीट अब खाली है.
– जैसा कि उनकी रिहाई के बाद 6 साल तक अयोग्यता जारी रहेगी, इसका मतलब है कि उन्हें कुल 8 साल के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
जानिए किस मामले में राहुल को मिली सजा
अब आपको बताते हैं कि राहुल गांधी को किस केस में सजा सुनाई गई. उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा चला क्यों. आखिर उन्होंने ऐसा क्या कहा था कि सूरत की अदालत में चार सालों तक कानूनी जिरह हुई. दरअसल, 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक की चुनावी रैली में विवादित बयान दिया था. रैली कर्नाटक के कोलार में थी और उन्होंने मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी. गुजरात के बीजेपी नेता और विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के बयान के खिलाफ केस कर दिया. केस मानहानि का था और सूरत की कोर्ट में किया गया था.