उत्तराखंड में हटेंगे वन भूमि पर बने धर्म स्थल, चिह्नीकरण कर सख्त कार्रवाई की तैयारी..
वन भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई को वन विभाग गंभीर हो गया है और दोबारा ऐसे धर्म स्थलों का चिह्नीकरण कर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। वन क्षेत्रों में वर्ष 1980 के बाद बनाए गए धर्म स्थलों को हटाया जाएगा।
प्रदेश के वन क्षेत्रों में वर्ष 1980 के बाद बनाए गए धर्म स्थलों को हटाया जाएगा। इससे पहले के निर्माण वन विभाग की अनुमति के बाद बने होने के कारण उन्हें कार्रवाई से बाहर रखा जाएगा।
वन विभाग गंभीर
वन भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई को वन विभाग गंभीर हो गया है और दोबारा ऐसे धर्म स्थलों का चिह्नीकरण कर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। वन क्षेत्र को कब्जा मुक्त कराने के लिए नामित नोडल अधिकारी सीसीएफ पराग मधुकर धकाते ने सभी वन प्रभागों से तीन दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही अतिक्रमण का दोबारा चिह्नीकरण कर हटाने की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड में वन भूमि पर अतिक्रमण कर किए गए धर्म स्थलों के निर्माण को लेकर वन विभाग की कसरत दोबारा शुरू हो गई है। अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई और निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने के बाद बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
शुक्रवार को वन मुख्यालय में हेड आफ फारेस्ट फोर्स पीसीसीएफ विनोद सिंघल की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। जिसमें वन भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए धर्म स्थलों के विरुद्ध कार्रवाई की योजना बनाई गई। नोडल अधिकारी मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने सभी अधीनस्थों को निर्देश दिए कि वर्ष 1980 के बाद प्रदेश की वन भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए धर्म स्थलों को चिहि्नत किया जाए।
मुख्यमंत्री ने वन भूमि से सभी प्रकार का अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में वन विभाग की ओर से अवैध धर्मस्थलों की सूची तैयार कर हटाने की कार्रवाई की जा रही है।
सभी वन प्रभागों को निर्देश दिए गए हैं कि अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध रूप से निर्मित धर्म स्थलों के निर्माण से लेकर वर्तमान स्थिति, वन भूमि और वहां संचालित गतिविधियों का एक परफार्मा तैयार कर विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय को दी जाए। जिसे शासन और मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। इसके बाद इन पर कार्रवाई की जाएगी।
अतिक्रमण करने वालों पर होगा मुकदमा
सीसीएफ पराग मधुकर धकाते ने सभी प्रभागीय वनाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि वन क्षेत्र में कोई अवैध निर्माण करता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध वन संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। साथ ही उन्होंने डीएफओ को अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई में पुलिस और प्रशासन का सहयोग लेने को कहा है।