बताते चलें कि उत्तराखंड प्रदेश में भी जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार के द्वारा जैविक कृषि अधिनियम लागू किया गया है, वर्तमान में जैविक कृषि का क्षेत्रफल बढ़कर 2.31 हेक्टेयर हो गया है, जो कुल कृषि क्षेत्रफल का 36% है।
बताते चलें कि राज्य गठन के समय कृषि के आधीन 7.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल था जो घटकर 6.48 लाख हेक्टेयर हो गया है ,इसको देखते हुए सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, प्रदेश भर में ऑर्गेनिक कलस्टर के माध्यम परंपरागत फसल के साथ फल व सब्जियों का जैविक तरीके से उत्पादन किया जा रहा है जिससे कि किसानों को उत्पात का ज्यादा लाभ मिल सके, परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत सरकार के द्वारा प्रदेश में 3900 जैविक खेती कलेक्टर का काम किया जा रहा है ,जिसमें कृषि विभाग की ओर से 2555, उद्यान विभाग 1341, सगंध पौधा केंद्र 45, रेशम विभाग के माध्यम से 59 क्लस्टर बनाए जा रहे हैं, एक कलेक्टर के तहत 20 हेक्टेयर क्षेत्र और 50 किसानों के समूह को शामिल किया जा रहा है।
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जैविक खेती कर रहे अनिल पांडे के अनुसार वह कई वर्षों से जैविक खेती करते आ रहे हैं तथा उन्होंने जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण केंद्र भी खोला है, जिसके माध्यम से उन्होंने लाल कुआं तथा आसपास के क्षेत्र में कई किसानों को जैविक खेती के विषय में बताया है तथा उन्हें करके दिखाया है जैविक खेती से किसानों को बहुत अधिक फायदा मिलता है वही दूसरे किसान का कहना था की जैविक खेती से एक तो खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है तथा जो किसान को महंगा भी नहीं पड़ता और इसमें कोई रसायन भी नहीं होते हैं जिससे खेती को और खेत को नुकसान बिल्कुल भी नहीं होता,