यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत सरकार ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सहित पड़ोसी देशों के छात्रों को निकाल रही है। पहले ही मान लेते इतना बड़ा नुकसान कराके अब यूक्रेन रूस के आगे झुक गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि वो यूक्रेन के नाटो में शामिल होने पर जोर नहीं दे रहे हैं।
साथ ही उन्होंने कहा है कि रूस द्वारा मान्यता दिए यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों दोनेत्स्क और लुहांस्क पर भी वो समझौता करने के लिए तैयार हैं। यूक्रेन के NATO में शामिल होने पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि वो एक ऐसे देश के राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते जो घुटनों पर गिरकर भीख मांगता है। जेलेंस्की ने ये सारी बातें अमेरिका के टीवी चैनल एबीसी को सोमवार रात दिए एक इंटरव्यू में कही।
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NATO सोवियत रूस से मुकाबला करने के लिए साल 1949 में बना था। साल 1991 में सोवियत रूस के विघटन के बाद NATO ने रूस के आसपास के कई और देशों को भी गठबंधन में शामिल कर लिया जिससे रूस में नाराजगी बढ़ी। साल 2008 में NATO यूक्रेन को भी गठबंधन का हिस्सा बना रहा था लेकिन ऐसा हो नहीं सका और अब ऐसा कहा जाने लगा था कि यूक्रेन जल्द ही NATO का सदस्य बनने वाला है जिसे लेकर रूस की नाराजगी बढ़ी और उसने और कई कारणों का हवाला देते हुए यूक्रेन पर हमला कर दिया। रूस NATO के विस्तार को एक खतरे के रूप में देखता रहा है।