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देहरादून की पौराणिक धरोहरों की संवरेगी तस्वीर, जिलाधिकारी सविन बंसल ने दिया 10 करोड़ का टेंडर

देहरादून की सांस्कृतिक धरोहरों जैसे साई मंदिर, जंक्शन और कुठाल गेट के आसपास दुर्घटनाओं के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति के विकास के लिए एक व्यापक योजना का खाका तैयार किया गया है, जिसके लिए देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल भी काफी समय से प्रयासों में लगे हैं।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को सुंदर और सांस्कृतिक धरोहरों से सुसज्जित करने के लिए लगातार जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में देहरादून को दुर्घटना जोन बनने से रोकने तथा राजधानी के मुख्य मार्ग व चौक को पौराणिक धरोहर से सुसज्जित करने के लिए जिलाधिकारी सविन बंसल ने कई महीनों की कड़ी मेहनत के बाद शहर में नव निर्माण और सौंदर्यीकरण के लिए 10 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाई है। ध्येय है कि साईं मंदिर जंक्शन, कुठालगेट चौक, घंटाघर का सौंदर्यीकरण, दिलाराम चौक पर सांस्कृतिक दीवार, 11 जंक्शनों पर ट्रैफिक जंक्शन लाइटों की स्थापना और आईएसबीटी चौक से आउटफॉल तक ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण तथा मौजूदा नाले की सफाई के लिए स्मार्ट सिटी को नव निर्मित किया जाए, जिसके लिए जिलाधिकारी सविन बंसल द्वारा टेंडर भी पारित कर दिए गए हैं। इन टेंडरों में सभी कार्यों के एक वर्ष का रखरखाव भी सम्मिलित है।

   

देहरादून की पौराणिक धरोहरों की संवरेगी तस्वीर

        उत्तराखंड राज्य का दिल कही जाने वाली राजधानी देहरादून को पौराणिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों से सजाने की एक व्यापक योजना धरातल पर उतरने वाली है। जिसके अंतर्गत राज्य की सांस्कृतिक विशेषताओं को दर्शाती हुई कलाओं के माध्यम से चौराहे सजाए जाएंगे, इसके साथ ही लोक परंपरा , सांस्कृतिक धरोहर, और धार्मिक स्थलों की कलाकृतियों के साथ आंदोलनकारियों की स्मृतियों को भी राज्य को चौराहों और मुख्य मार्गों पर अंकित किया जाएगा। वहीं शहर मे सड़क सुरक्षा को लेकर भी कई चौराहों का नव निर्माण और जीर्णोद्धार किया जाएगा, जिसमें सांसकृतिक विरासत और पारंपरिक लोक सभ्यताओं का कलाकारी से समावेश होगा। यह कदम देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल द्वारा सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करते हुए राज्य की सांस्कृतिक और लोक कला को प्रदर्शित करके पर्यटकों को राज्य की कला तथा संस्कृति से परिचय कराना है। वहीं दूसरी ओर मुख्य चौरहों पर राज्य की प्रमुख विभुतियों और राज्य आंदोलनकारी और आंदोलन संबंधि रचनाओं से राज्य के अस्तित्व की छाप को प्रदर्शित करने का भी विचार इसमें सम्मिलित है।सड़क सुरक्षा के सुधार कार्यों के साथ-साथ लोक संस्कृति और पारंपरिक कला को जोड़कर इसे विकसित किया जाएगा।

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