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नैनीताल हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला, लोकगायक पप्पू कार्की के आश्रितों को मिलेगा 90 लाख का मुआवजा

नैनीताल हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील खारिज कर कुमाऊं के प्रसिद्ध लोकगायक पप्पू कार्की के परिवार को 90 लाख रुपये से अधिक मुआवजा देने का आदेश दिया। मामला 2018 की मोटर दुर्घटना से जुड़ा है जिसमें गायक की मृत्यु हुई थी।

नैनीताल हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

    नैनीताल हाईकोर्ट ने कुमाऊं के विख्यात लोकगायक स्व. पप्पू कार्की के आश्रितों को 90 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश सुनाया है। कोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील खारिज करते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के पहले के फैसले को कायम रखा, जिसमें 2018 में हुई एक वाहन दुर्घटना में गायक की मृत्यु के बाद उनके परिवार को मुआवजा देने का निर्देश था। न्यायाधीश आलोक मेहरा की एकलपीठ ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील को अस्वीकार कर उक्त राशि जारी रखने का आदेश दिया है, जो पप्पू कार्की के परिवार के लिए न्याय का बड़ा कदम माना जा रहा है।    

नैनीताल हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील करी खारिज

    नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 9 जून 2018 को ग्राम मुरकुड़िया के पास हुई दुर्घटना में प्रसिद्ध लोकगायक पप्पू कार्की और कार चालक की मृत्यु के मामले में बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया है। इस दुर्घटना में कार गहरे खड्ड में गिर गई थी। प्रारंभिक अधिकरण ने 18 अक्टूबर 2019 को मृतक की पत्नी कविता कार्की और अन्य आश्रितों को 90,01,776 रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया था, जिसे बीमा कंपनी ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने मृतक की आय और चालक की लापरवाही पर उठाए गए बीमा कंपनी के तर्कों को सिरे से गलत बताया और मुआवजे के फैसले को कायम रखा।

 

पप्पू कार्की मुआवजा मामले में आईटीआर के दस्तावेज वैध

    पप्पू कार्की मुआवजा मामले में बीमा कंपनी के वकील ने दावा किया था कि मृतक की आय की गणना उनकी मृत्यु के बाद के आयकर रिटर्न (ITR) पर आधारित होने के कारण गलत है और दुर्घटना जंगली जानवर को बचाने की वजह से हुई थी, न कि लापरवाही से ड्राइविंग के कारण। इसके विपरीत, आश्रितों के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिन आयकर रिटर्न पर मामला आधारित है, वे दुर्घटना से पहले के वर्षों के आकलन वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 के हैं। कोर्ट ने आश्रितों के तर्क को सही माना और आयकर रिटर्न को वैधानिक दस्तावेज माना, जिसे केवल दाखिल करने की तारीख के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। इस प्रकार बीमा कंपनी के तर्कों को सिरे से ठुकरा दिया गया।
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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