APEC समिट में जिनपिंग शामिल होने के लिए पहुंचे सैन फ्रांसिस्को, बाइडेन से होगी मुलाकात

APEC समिट में जिनपिंग शामिल होने के लिए पहुंचे सैन फ्रांसिस्को, बाइडेन से होगी मुलाकात

सैन फ्रांसिस्को: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीन-अमेरिका शिखर बैठक और 30वीं एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग(APEC) मंच के नेताओं की बैठक के लिए सैन फ्रांसिस्को पहुंचे. सीएनएन ने वरिष्ठ अमेरिकी प्रशासन अधिकारियों के हवाले से बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बुधवार को सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र में चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले हैं.

बैठक के दौरान इस बात का अध्ययन किया जाएगा कि क्या दोनों नेता भारी वैश्विक उथल-पुथल के क्षण में संबंधों में गिरावट को धीमा कर सकते हैं. हालाँकि, कथित तौर पर बातचीत से द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आने की संभावना नहीं है. इसके बजाय इस तथ्य को कि बैठक हो रही है, व्हाइट हाउस के सहयोगियों द्वारा महीनों के टकराव के बाद एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा, अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि नेताओं को गलत धारणाओं को दूर करने और आश्चर्य से बचने के लक्ष्य के साथ दोनों शक्तियों के बीच सफल प्रतिस्पर्धी संबंधों के प्रबंधन के लिए एक ढांचा विकसित करने की उम्मीद है. इसके अलावा अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि बाइडेन के सहयोगी यथार्थवादी उम्मीदों के साथ शिखर सम्मेलन को लेकर आगे बढ़े थे

उन्होंने बाद में परिणामों की लंबी सूची की उम्मीद नहीं की थी. चूँकि पश्चिम एशिया में संघर्ष जारी है और यूक्रेन में युद्ध चल रहा है, बाइडेन अपनी निगरानी में एक और विश्व संकट को फैलने से रोकने के लिए उत्सुक हैं. इसके अलावा उनकी शीर्ष विदेश नीति प्राथमिकताओं में से एक वाशिंगटन-बीजिंग संबंधों में स्थिरता बहाल करना है, भले ही वैश्विक तनाव बढ़ रहा हो

उम्मीद है कि दोनों नेता विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच सैन्य-से-सैन्य संचार बहाल करना भी शामिल है. बाइडेन का मुख्य उद्देश्य इस मुद्दे पर जिनपिंग पर दबाव बनाने की योजना है. इसके अलावा इसमें इजरायल और यूक्रेन में संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और नशीले पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करने जैसे संभावित सहयोग के क्षेत्र, मानवाधिकार के मुद्दों पर गहरी असहमति और दक्षिण चीन सागर और ताइवान के आसपास सैन्य वृद्धि भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार वार्ता विस्तृत होगी और कई कार्य सत्रों तक चलेगी. इस बीच अमेरिका ने चीन पर इजरायल-हमास युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध दोनों में अधिक रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए दबाव डाला है.

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