उत्तराखंड में चुनावी मौसम के बीच भाजपा के नेताओं ने ही अपनी सरकार के काम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. खास बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर ही उत्तराखंड में सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल न केवल कांग्रेस बल्कि सत्ताधारी भाजपा के नेताओं ने ही उठा दिए हैं और अब इसको लेकर जांच की बात भी कही जाने लगी है.
मोदी सरकार ने देश भर में ऐसे कई शहरों का चयन किया, जिनको स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाना था. देहरादून भी उन्हीं शहरों में से एक रहा और इसके लिए काफी लंबे समय से देहरादून में स्मार्ट सिटी के तहत काम भी किए गए. लेकिन एक लंबा वक्त बीतने के बाद भी अब तक शहर के कई इलाकों में लोगों को परेशानी होने के अलावा कोई खास काम स्मार्ट सिटी के तहत नहीं दिखाई दिया है।
खास बात यह है कि अब न केवल कांग्रेसी स्मार्ट सिटी के कामों पर सवाल खड़े कर रहे हैं, बल्कि भाजपा के नेताओं ने भी स्मार्ट सिटी के तहत हो रहे कई कामों पर सवाल उठाए हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रवींद्र जुगरान ने तो साफ कर दिया है कि देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी के तहत जो काम किए गए हैं वो उनसे संतुष्ट नहीं हैं.
भारतीय जनता पार्टी उन कामों से संतुष्ट नहीं है और ऐसे में पार्टी उन नौकरशाहों को आगाह करना चाहती है, जो इन कामों में लेटलतीफी और गुणवत्ता को लेकर दिक्कतें पेश कर रहे हैं. भाजपा नेता ने कहा कि स्मार्ट सिटी के मामले में कड़ी कार्रवाई की भी जरूरत है और इसमें मॉनिटरिंग भी होनी चाहिए. साथ ही जो पैसा केंद्र से दिया गया है उसका भी हिसाब-किताब नौकरशाहों को देना होगा।
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भाजपा के नेताओं की तरफ से अपनी ही सरकार के कामों पर सवाल खड़े करने के बाद कांग्रेस भी इस मामले में दो कदम आगे आकर आरोप लगा रही है. पार्टी के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि राज्य में स्मार्ट सिटी जैसे ही ऐसे कई काम हुए हैं, जिन पर केवल झूठी घोषणाएं हुई हैं और उन पर काम नहीं दिखाई दिया. ऐसे में कांग्रेसी सरकार आने पर इन सभी कामों की जांच करवाई जाएगी