उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्तियों के चलते बर्खास्त हुए कर्मचारी विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गए। इस दौरान कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं, उन्होंने दोबारा नियुक्ति की मांग की।
विधानसभा में बैकडोर से भर्तियां करने पर सवाल उठने पर स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण ने 3 सितंबर 2022 को पूर्व आईएएस अधिकारी डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्य विशेषज्ञ जांच समिति का गठन किया था।
जांच समिति ने राज्य गठन से 2021 तक तदर्थ आधार पर की र्गईं नियुक्तियों की जांच कर 20 दिन के भीतर 22 सितंबर 2022 को विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंप दी थी। समिति ने जांच में पाया कि नियुक्तियां नियम विरुद्ध की गई हैं।
तो समिति की रिपोर्ट पर विधानसभा अध्यक्ष ने 23 सितंबर को तत्काल प्रभाव से 2016 से 2021 तक की गईं कुल 228 नियुक्तियां को रद्द कर कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद कर्मचारी हाईकोर्ट गए तो वहां भी उन्हें निराशा मिली। वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी कर्मचारियों की याचिका खारिज कर दी।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा में कर्मचारियों की बर्खास्तगी मामले में सरकार और स्पीकर ऋतु खंडूड़ी पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यदि नियुक्तियां अवैध है तो नियुक्ति देने वालों पर भी हो कठोर कार्यवाही हो। यदि वह भी आरोपी हैं तो दंड भुगतने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा ने मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी की टीम गठित की थी। एक्सपर्ट कमेटी ने साफ किया कि राज्य बनने के बाद विधानसभा में सभी नियुक्तियां गलत हैं।
आरोप
– 2016 से पहले विधानसभा में अवैध रूप से भर्ती हुए कई कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी विधानसभा में नियुक्ति बीसी खंडूड़ी के मुख्यमंत्री रहते हुईं। इसमें तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी के पर्यटन सलाहकार की बेटी सहित कई हाई प्रोफाइल लोगों के परिजन शामिल हैं।
– जिस कार्यवाही को स्पीकर सत्य की जीत करार दे रहीं हैं वह एक अधूरा और झूठा सत्य है। खुद स्पीकर की ओर से बनाई डीके कोटिया समिति ने भी अपनी रिपोर्ट के नंबर 12 में साफ किया है कि राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक की सभी भर्तियां अवैध हैं।