ऋषिकेश में योग नगरी -तीर्थ नगरी के लक्ष्मण झूला अंचल स्थित रानी मंदिर के सामने आज वैदिक धाम गंगा का दिव्य और भव्य उद्घाटन संपन्न हुआ। दीप प्रज्वलन के बाद शास्त्रीय संगीत, कथक नृत्य की सुंदर प्रस्तुति कलाकारों द्वारा दी गई, जिसे देखकर लोगों ने पूरे सभागार में तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।
गंगा किनारे हवन पूजन यज्ञ के उपरांत इस केंद्र का लोकार्पण स्वामी सुखदेवानंद ट्रस्ट परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी असंगानंद सरस्वती जी महाराज एवं उत्तराखंड के वयोवृद्ध संत प्रेमवर्णी जी महाराज ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत सबसे पहले दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात उपस्थित अतिथियों ने वैदिक धर्म के विषय में बताते हुए कहा कि यह बेहद संवेदनशील एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए ऋषिकेश में इस धाम की स्थापना निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगी।
मुख्य अतिथि के रुप में असंगानंद महाराज ने कहा कि आज वैदिक विचारधारा की नितांत आवश्यकता है। अनेकता में एकता को देखना वैदिक संस्कृति में ही संभव है। देश का कल्याण हमारी वैदिक संस्कृति से ही होगा। हिंदुत्व विचारधारा है जो वैदिक संस्कृति को मानता है, वह हिंदू है। बिना वैदिक संस्कृति के हमारा उद्धार नहीं हो सकता है। आज बकुल राय द्वारा यह दिव्य और भव्य वैदिक धाम बनाया गया है निश्चित रूप से योग नगरी, धर्म नगरी ऋषिकेश में एक अलग ही स्थान रखेगा और दूरदराज से आए देश विदेश के लोग इसे देखकर भारतीय धर्म वैदिक धर्म से साक्षात साक्षात्कार कार्य करेंगे।
इस अवसर पर वैदिक धाम गंगा के संस्थापक अध्यक्ष बकुल राजपूत ने कहा कि 2014 वैदिक सिटी में जाने की इच्छा हुई। इसके लिए कितना धन लगेगा मेरे बेटे ने पूछा परंतु जब भाव अच्छे हो विचार अच्छे हो तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं। मैंने बेटे से कहा 14000 करोड रुपए का खर्च। वैदिक लिविंग गुरुकुल में लगेगा। बेटे ने कहा इतना धन कहां से आएगा पर जहां चाह वहां राह लोग मिलते गए, कारवां जुड़ता गया और यह हमारा प्रथम प्रयास है।
उत्तराखंड देव भूमि की पावन धरती ऋषिकेश में मां गंगा के तट पर हमारा यह पहला वैदिक धाम बनकर तैयार हो गया। और आज इसका विधिवत उद्घाटन आप लोगों के हाथों हो रहा है। हमारा प्रयास से पूरे देश में 51 वैदिक धाम बनाने की। काशी, मथुरा, अयोध्या एवं जो भी हमारे धार्मिक शहर है वहां पर हम लोग इसे बनाएंगे।
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72 दिन की कठोर मेहनत का आज यह सार्थक परिणाम मिला है। दिन-रात लोगों ने काम करके यह आज तैयार किया है। सनातन धर्म का यह सुंदर सा भव्य स्वरूप आप देख रहे हैं, हम इसके द्वारा सेवा का भाव लेकर आप सब की सेवा कर रहे हैं।
योगर्षि स्वामी प्रेमवर्णी जी महाराज ने कहा कि वैदिक संस्कृति को अपने बच्चों को बताना चाहिए। वैदिक धाम आने वाली पीढ़ी के लिए निश्चित रूप से एक संदेश देगा और हमारी संस्कृति को बच्चे नजदीक से देखेंगे।