उत्तर प्रदेश पंजाब समेत 5 राज्यों मे भले ही प्रत्याशी डिजिटल कैंपेन का प्रयास कर रहे हैं लेकिन इतना ही काफी नहीं है यदि आप किसी नेता का भाषणा या कैंपेन सोशल मीडिया पर देखते हैं तो वह अगले ही दिन आपने दरवाजे पर भी आकर धमक सकता है इसे नेताओं की डिजिटल और फिजिकल को मिक्स करने वाली फिजिटल स्ट्रैटेजी कहा जा रहा है कोरोना काल में नेताओं के लिए सोशल मीडिया ही प्रचार का सबसे बड़ा जरिया बन कर उभरा है लेकिन अब भी उम्मीदवार फिजिटल कैंपेनिंग को अपने लिए बेहतर मान रहे हैं यही वजह हैं कि शहर से लेकर गांव में अपने कुछ समर्थकों को लेकर प्रत्याशियों की ओर से जनसंपर्क किया जा रहा है।
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उत्तर प्रदेश के पहले राउंज के लिए फिलहाल प्रचार तेज है यहां यही रणनीति देखने को मिल रही है नेताओं का कहना है कि डोर टू डोर कैंपेन से वोटरों के साथ पर्सनल कनेक्ट बनता है जो चुनाव के लिए बहुत जरुरी है चुनाव आयोग ने 22 जनवरी तक रैलियों, नुक्कड़, सभाओं और रोड़ शो पर लगा रखी है यही नहीं यह भी माना जा रहा है कि यह रोक आगे भी बढ़ाई जा सकती है इसकी वजह यह है कि देश में कोरोना के केसों में लगातार इजाफा हो रहा है जहां आज नए कोरोना केसों का आंकड़ा तेजी से बढ़ते हुए 3 लाख के पार पहुंच गया और एक ही दिन में 400 के करीब मौतें हो गई हैं।
आरत राणा