उत्तराखंड

एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की सिल्क्यारा सुरंग हादसे पर मीडिया मॉनिटरिंग रिपोर्ट

एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की सिल्क्यारा सुरंग हादसे पर मीडिया मॉनिटरिंग रिपोर्ट देहरादून : देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तरकाशी जिले के सिल्क्यारा में हाल ही में हुए सुरंग हादसे पर एक मीडिया मॉनिटरिंग दस्तावेज़ जारी किया है। यह सुरंग हादसे से लेकर 17वें दिन मजदूरों के रेस्क्यू होने तक मीडिया में छपी रिपोर्टों का संकलन है। 226 पेज की इस रिपोर्ट में सुरंग हादसे पर विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संकलन है। सुरंग हादसा 12 नवंबर, 2023 को सुबह 5ः30 बजे के करीब हुआ था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 134 पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा बैंड-बड़कोट टनल का एक हिस्सा ढह गया था और 41 मजदूर सुरंग में फंस गये थे। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तरकाशी जिला प्रशासन, उत्तराखंड पुलिस, भारतीय सेना, सीमा सड़क संगठन, भारतीय वायु सेना जैसी कई केन्द्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियां सुरंग में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू अभियान में कई दिन तक जुटी रही। इस दौरान कई तरह से बचाव अभियान चलाया गया। देश-विदेश से मशीने सिलक्यारा पहुंचाई गई। कई बार अभियान फेल हुआ। आखिरकार रैट होल माइनर्स के मदद से हादसे के 17वें दिन सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंच बन पाई और उन्हें सकुशल बाहर निकाला जा सका। सिलक्यारा सुरंग हादसे में मीडिया मॉनिटरिंग दस्तावेज़ के बारे में एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि एक इनवायर्नमेंटल एक्शन और एडवोकेसी ग्रुप के रूप में एसडीसी फाउंडेशन उत्तराखंड की प्रमुख आपदा और जलवायु परिवर्तन घटनाओं के दस्तावेज़ीकरण को प्रमुखता देता रहा है। फाउंडेशन नियमित रूप से उत्तराखंड की प्रमुख दुर्घटनाओं का संग्रह एवं दस्तावेजीकरण कर रिपोर्ट तैयार करता है। उन्होंने कहा कि सिलक्यारा सुरंग हादसे को लेकर भी फाउंडेशन ने विभिन्न समाचार पत्रों में छपी खबरों का संग्रह किया है। इन्हें अलग-अलग श्रेणियों के आधार पर क्रमबद्ध और वर्गीकृत किया गया हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस दस्तावेज की पहुंच बन सके इसके लिए इसे डिजिटल कर दिया गया है। अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि दस्तावेज़ सूचना, अनुसंधान, वकालत, केंद्र और राज्य के सरकारी विकास अधिकारियों, डॉक्टरों, शोधकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिक समाजिक संगठनों और मीडिया समूहों के लिए उपयोगी साबित होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button