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उत्तराखंड कैडर मामले में 16 जजों ने की अलगाव की घोषणा, हाई कोर्ट के जस्टिस आलोक वर्मा भी शामिल

संजीव चतुर्वेदी की अवमानना याचिका मामले में अब तक 16 जजों ने सुनवाई से खुद को अलग किया है। हाल ही में हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस आलोक वर्मा ने भी इस केस से अलग होने की घोषणा की।

उत्तराखंड कैडर मामले में 16 जजों ने की अलगाव की घोषणा

  उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के अवमानना याचिका मामले में सुनवाई से एक और न्यायाधीश ने खुद को अलग कर लिया है। हाल ही में हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस आलोक वर्मा ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया, जो अब तक 16 न्यायाधीशों की संख्या में शामिल हो गए हैं जिन्होंने सुनवाई से अलग होने का निर्णय लिया है। इस सूची में सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश, हाई कोर्ट के चार न्यायाधीश, केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के अध्यक्ष और सदस्य तथा निचली अदालतों के न्यायाधीश शामिल हैं। फरवरी 2025 में कैट के दो सदस्यों व अप्रैल में नैनीताल के एसीजेएम ने भी मामले से अपना नाम वापस ले लिया था। इस प्रकार का वृहद न्यायिक अलगाव इस विवादित मामले की गंभीरता को दर्शाता है, जो अभी भी न्यायालयों में विचाराधीन है।  

मानहानि मामले में जजों का निरंतर अलगाव जारी

  उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में दायर मानहानि मामले की सुनवाई से लगातार न्यायाधीश खुद को अलग करते जा रहे हैं। अप्रैल 2025 में अतिरिक्त सीजेएम नेहा कुशवाहा ने पारिवारिक संबंधों के कारण सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, जबकि फरवरी 2025 में कैट की एक खंडपीठ ने भी इसी कारण सुनवाई से दूरी बनाई। यह मामला संजीव चतुर्वेदी के भ्रष्टाचार उजागर करने और प्रतिद्वंद्वी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ा है। उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में भी इस विवाद में कई महत्वपूर्ण फैसले हो चुके हैं, जिनमें केंद्र सरकार पर जुर्माना भी लगाया गया है। मार्च 2019 और फरवरी 2021 में कैट के दो सदस्यों ने भी केस की सुनवाई से खुद को अलग किया था। नतीजतन, मामले की जांच में लगातार हो रही जजों की अलगाव की प्रक्रिया ने इस विवाद की जटिलता और संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया है।  

कैट के न्यायाधीश संग न्यायिक विवाद जारी

नवंबर 2023 में उत्तराखंड के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के न्यायाधीश मनीष गर्ग के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि सुनवाई के दौरान मनीष गर्ग ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। 17 अक्टूबर 2024 को नैनीताल पीठ ने इस मुकदमे का स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना नोटिस जारी किया। 19 फरवरी 2025 को कैट के दो अन्य जजों हरविंदर ओबेराय और बी.आनंद ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया। जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा, तो हाई कोर्ट ने संजीव की याचिका पर स्थगनादेश जारी किया, बावजूद इसके कैट ने सुनवाई जारी रखी और एक वरिष्ठ अधिवक्ता को न्याय मित्र नियुक्त किया, जिसे संजीव ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। यह विवाद न्यायिक प्रक्रिया को और जटिल बनाता जा रहा है, जिससे केस पर ठोस निर्णय अभी लंबित है।
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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