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Sri Lanka : राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की भारत यात्रा से पहले विदेश सचिव क्वात्रा पहुंचे कोलंबो, चीन हुआ परेशान! जानें क्यों?

श्रीलंका के संकटकाल में भारत उसका सबसे बड़ा मददगार बनकर खड़ा रहा।

भारत और श्रीलंका के प्राचीन समय से अच्छे संबंध रहे हैं। मगर चीन भारत और श्रीलंका के संबंधों को खराब करने पर तुला है। श्रीलंका को इस बात का एहसास तब हुआ, जब उसके आर्थिक संकटकाल में केवल भारत काम आया। इसलिए अब श्रीलंका चीन को नजरंदाज करने लगा है। राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे भारत यात्रा पर आने वाले हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे की भारत यात्रा से पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा कोलंबो पहुंच गए हैं। विनय मोहन क्वात्रा कई भारतीय परियोजनाओं का जायजा लेने और राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की आगामी भारत यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने गए हैं। वह भारत-श्रीलंका के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता से पहले कई मजबूत आधार स्तंभ खड़ा करने का भी काम करेंगे। श्रीलंका के संकटकाल में भारत उसका सबसे बड़ा मददगार बनकर खड़ा रहा। हालांकि उससे पहले चीन ने श्रीलंका की मदद के नाम पर उसके हंबनटोटा बंदरगाह पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया था। मगर भारत के विरोध के बाद उसे वापस जाना पड़ा था। अब श्रीलंका और भारत के बीच मजबूत होती दोस्ती चीन को परेशान कर रही है। विनय क्वात्रा सोमवार रात श्रीलंका की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर कोलंबो पहुंचे हैं। अधिकारियों ने बताया कि वह कई क्षेत्रों में जारी भारतीय परियोजनाओं का जायजा लेंगे और विक्रमसिंघे की भारत यात्रा के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियां करेंगे। अधिकारियों ने रविवार को कहा था कि विक्रमसिंघे 21 जुलाई को भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आएंगे और इस दौरान, उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिलने की संभावना है। उन्होंने बताया था कि विक्रमसिंघे भारत के लिए रवाना होने से पहले द्वीप राष्ट्र में बिजली व ऊर्जा, कृषि तथा समुद्री मुद्दों से संबंधित कई भारतीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को अंतिम रूप देंगे। पिछले वर्ष जुलाई में जनता के विद्रोह के बीच गोटबाया राजपक्षे के सत्ता से बाहर होने और सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे देश का राष्ट्रपति नियुक्त होने के बाद यह विक्रमसिंघे की पहली भारत यात्रा होगी। भारत से अच्छे संबंध बनाने पर जोर विक्रमसिंघे ने भारत के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने पर जोर दिया है और इसे अपनी विदेश नीति का प्रमुख हिस्सा बनाया है। इस साल जनवरी में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विक्रमसिंघे को भारत आने का औपचारिक निमंत्रण दिया था। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब श्रीलंका की कमजोर अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। विदेशी मुद्रा की भारी कमी के कारण श्रीलंका 2022 में वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था। उसे 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। द्वीप राष्ट्र ने पिछले साल अप्रैल के मध्य में पहली बार कर्ज अदा न कर पाने की घोषणा की थी। इस साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने उसे 2.9 अरब डॉलर का राहत पैकेज दिया था।

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