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उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज, हाई कोर्ट में सौंपा शपथपत्र….चुनौती याचिका हुई दायर
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सियासत गर्माती जा रही है, वहीं उत्तराखंड सरकार का कहना है कि वह भी हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करवाने को लेकर पूरी तरह तैयार है और इस बात की जानकारी स्वयं उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट में शपथपत्र दर्ज करवा कर दी है। सरकार ने बताया कि निर्वाचन आयोग तैयार है और आरक्षण निर्धारण पर निर्णय होना बाकी है।
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर सरकार ने कसी कमर
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सियासत गर्माती जा रही है, वहीं उत्तराखंड सरकार का कहना है कि वह भी हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करवाने को लेकर पूरी तरह तैयार है और इस बात की जानकारी स्वयं उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट में शपथपत्र दर्ज करवा कर दी है। आपतो बता दें कि हाई कोर्ट में जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों के बाद ग्राम पंचायतों में भी निवर्तमान प्रधानों को प्रशासक नियुक्त करने को चुनौती देती याचिकाएं विचाराधीन हैं। वहीं हाई कोर्ट ने इस मामले पर पिछली सुनवाई में जब उत्तराखंड सरकार से पूछा था कि पंचायत चुनाव कब तक कराए जा सकते हैं तो इस पर उत्तराखंड निर्वाचन आयोग की ओर से स्पष्ट किया गया कि चुनाव कराने से संबंधित प्रक्रिया तैयार है मात्र उत्तराखंड सरकार के स्तर से आरक्षण के निर्धारण पर निर्णय होना शेष है। उधर सरकार के महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने शपथपत्र दाखिल करने की पुष्टि करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भी साफ कर चुके हैं कि सरकार चुनाव को तैयार है, पंचायती राज सचिव स्तर से भी तैयारियां की जा रही हैं।चुनौती याचिका हुई दायर
पूर्व ग्राम प्रधान विजय तिवारी सहित अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पहले राज्य सरकार ने जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया, इसके बाद ग्राम पंचायतों का चुनाव कराने की बजाय निवर्तमान ग्राम प्रधानों को भी प्रशासक नियुक्त कर उन्हें वित्तीय अधिकार दे डाले। पूर्व प्रधान का कहना है कि ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियक्त करने से वे आगामी पंचायत चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं लिहाजा, शीघ्र ही पंचायच चुनावों को कराया जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों में भी यह स्पष्ट है कि प्रशासक तभी नियुक्ता किया जा सकता है यदि ग्राम सभा को किन्ही कारणों से भंग कर दिया गया हो। लेकिन तब भी किसी भी स्थिति में 6 महिनों के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है क्योंकि प्रशासकों का कार्यकाल 6 माह से अधिक नहीं हो सकता है। वहीं इन निर्वाचित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, ऐसी सूरत ए हाल में में प्रशासक नियुक्त करने से साफ है कि राज्य सरकार अभी चुनाव कराने की स्थिति में नही है। जबकि अभी मतदाता सूची व आरक्षण तय करने से संबंधित कार्य निर्वाचन आयोग को करने होंगे।लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)