बता दे की कानून मंत्रियों के सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली संबोधित किया। और उन्होंने कहा, स्वस्थ्य समाज के लिए मजबूत न्यायपालिका का होना जरूरी है। कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे, इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोक अदालतों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, लोक अदालतों ने लाखों मामलों को सुलझाया है। इनसे न्यायालयों का बोझ कम हुआ है और खासतौर पर गांव में रहने वाले लोगों को गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा, देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए। इसलिए देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है। उन्होंने आगे कहा, टेक्नोलॉजी किस तरह से आज न्याय व्यवस्था का भी अभिन्न अंग बन गई है, इसे हमने कोरोना काल में देखा है। आज देश में ई-कोर्ट्स मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है।
पीएम ने कहा, आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा, हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक पहुंचाएगी। भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। उन्होंने कहा, तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है।