Women Cash Scheme: देश के कुल 12 राज्यों ने 2025-26 में महिलाओं के लिए बिना शर्त नकद अंतरण (यूसीटी) योजनाओं पर सामूहिक रूप से 1.68 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान लगाया है। यह जानकारी विचारक संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की नयी रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, तीन साल पहले केवल दो राज्य महिलाओं के लिए इस तरह की योजनाएँ चला रहे थे। अब 12 राज्यों में से छह ने 2025-26 में राजस्व घाटा होने का अनुमान लगाया है, जो महिला-केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं पर बढ़ते व्यय से राजकोषीय दबाव को दर्शाता है।
पीआरएस ने कहा है कि ‘यूसीटी योजनाओं को लागू करने वाले 12 राज्यों में से छह ने राजस्व घाटे का अनुमान लगाया है। हालांकि, यदि यूसीटी योजनाओं पर खर्च को छोड़कर राजस्व संतुलन को देखा जाए तो राज्यों के वित्तीय संकेतकों में सुधार दिखाई देता है।’
बिना शर्त नकद अंतरण योजनाओं का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को मासिक प्रत्यक्ष लाभ भुगतान के माध्यम से सशक्त बनाना है। कई राज्यों में यह अब प्रमुख कल्याणकारी योजना बन चुकी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं को बड़े पैमाने पर यूसीटी की सुविधा देने वाले राज्यों की संख्या 2022-23 में दो थी, जो अब 2025-26 में बढ़कर 12 हो गई है। इन योजनाओं में लाभार्थियों का चयन आय सीमा, आयु वर्ग और अन्य मानदंडों के आधार पर किया जाता है।
असम और पश्चिम बंगाल ने पिछले वर्ष की तुलना में महिला यूसीटी योजनाओं पर क्रमशः 31 प्रतिशत और 15 प्रतिशत अधिक बजट आवंटित किया है। इन योजनाओं में तमिलनाडु की कलैगनार मगलिर उरीमई थोगई थित्तम, मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना, और कर्नाटक की गृह लक्ष्मी योजना शामिल हैं, जिनमें प्रत्येक पात्र परिवार की महिला को 1,000 रुपये से 1,500 रुपये तक मासिक सहायता दी जाती है।
हालांकि, विचारक संस्था ने चेतावनी दी है कि ये योजनाएँ राज्य के बजट पर दबाव बढ़ा रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इन योजनाओं को बंद किया जाए तो राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा। उदाहरण के लिए, कर्नाटक का मौजूदा बजटीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 0.6 प्रतिशत से घटकर 0.3 प्रतिशत अधिशेष हो जाएगा। इसी तरह, मध्य प्रदेश का अधिशेष 0.4 प्रतिशत से बढ़कर 1.1 प्रतिशत हो जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहले चेतावनी दी थी कि महिलाओं, युवाओं और किसानों के लिए सब्सिडी और नकद अंतरण पर बढ़ते खर्च से उत्पादक खर्च के लिए राजकोषीय गुंजाइश कम हो सकती है।
कुछ राज्यों ने लागत प्रबंधन के लिए लाभ राशि में बदलाव भी किया है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र ने अप्रैल 2025 में मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना के तहत मासिक भुगतान में कटौती की, जबकि झारखंड ने 2024 के अंत तक मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत भुगतान बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति माह कर दिया।
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