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रंग बरसे भीेगे चुनरवाली रंग बरसे पर जमकर थिरके योगी

प्रसिद्ध ड्रमवादक शिवमणि के ड्रम की थाप और सूफी गायिका रूना रिज़वी शिवमणि की रूहानी आवाज़ के जादू ने मोह लिया योगियों का मन

अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन 75 देशों से आये योग जिज्ञासुओं और 25 देशों से आये 65 योगाचार्यों को मिला आचार्य बालकृष्ण जी और आध्यात्मिक गुरू प्रेम बाबा जी का पावन सान्निध्य व आशीर्वाद

उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति व परंपरा का प्रतीक उत्तराखण्ड के लोकपर्व फूलदेई पर खेली फूलों की होली

होली के रंग, फूलों की ताजगी और परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण ने मोह लिया योगियों का मन

ऋषिकेश : 14 मार्च अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन वैश्विक योगी परिवार ड्रमवादक शिवमणि के ड्रम की थाप, सूफी गायिका रूना रिज़वी शिवमणि की रूहानी आवाज़ और रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे गीत पर जम का थिरके। फूलों की ताजगी और रंगों की मस्ती का योगियों ने खूब आनंद लिया।

अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन 75 देशों से आये 1400 योग जिज्ञासुओं, 25 देशों से आये 65 योगाचार्यों को पतंजलि योगपीठ, आयुर्वेद के आचार्य, आचार्यश्री बालकृष्ण और आध्यात्मिक गुरू  प्रेमबाबा जी का पावन सान्निध्य व आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती, आचार्य बालकृष्ण और प्रेमबाबा जी के पावन सान्निध्य में वैश्विक योगी परिवार ने उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति व परंपरा का प्रतीक उत्तराखण्ड के लोकपर्व फूलदेई पर जमकर फूलों की होली खेली और फिर सभी ने गंगा स्नान किया।

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अंतिम दिन सभी ने मिलकर उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति फूलदेई का उत्सव मनाया। तत्पश्चात सद्भाव, भाईचारा और विविधता में एकता का आध्यात्मिक पर्व होली का उत्सव पर्यावरण-अनुकूल, हरित व योगिक होली मनायी।

सभी योग जिज्ञासु ने बड़े उत्साह और खुशी के साथ भारतीय संस्कृति के रंगों मे रंग कर, नृत्य कर गीत गाकर इस पवित्र और आनंदमय त्योहार के महत्व और उसके प्रेरक संदेशों को आत्मसात किया। आध्यात्मिक गुरूओं, योगाचार्यो और योग जिज्ञासुओं ने माँ गंगा में डूबकी लगायी तथा सभी ने मिलकर विश्व शान्ति की प्रार्थना की।

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।

विश्व प्रसिद्ध तालवादक, ड्रमवादक शिवमणि और सूफी गायिका रूना रिजवी शिवमणि ने होली के गीत गाए। 75 से अधिक देशों से आये योग जिज्ञासुओं ने परम आनंद में नृत्य किया। परमार्थ निकेतन का पूरा प्रांगण ढोल की थापों से गुंजायमान हो गया। स्वामी ने सभी प्रतिभागियों के माथे पर शुद्ध चंदन का तिलक लगाया तथा प्रेम व शांति के फूलों की वर्षा कर पर्यावरण-अनुकूल, हरित संदेश प्रसारित करने का संदेश दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने आज वैश्विक योगी परिवार को होली पर्व के माध्यम से विश्व बंधुत्व का संदेश देते हुये कहा कि “भारत समग्रता, एकता और एकजुटता में विश्वास करता हैं।’’ भारत की आत्मा हमेशा से महान ऋषियों द्वारा दिए गए दिव्य मंत्र ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में विश्वास करती है। आज पूरे विश्व को इसी दिव्य मंत्र ‘‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर‘‘ को आत्मासात करने की जरूरत है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिये योग के साथ आयुर्वेद युक्त जीवन शैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। हिमालय की इस दिव्य धरा से आप आयुर्वेद के सूत्रों को लेकर जायें।

साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत का प्रत्येक पर्व एक संदेश देता है। चाहे वह प्रकृति के संरक्षण का हो, परिवार के संरक्षण का हो या संस्कारों के संरक्षण का हो। आज हम उत्तराखंड की समृद्ध परम्परा का प्रतीक फूलदेई पर्व के साथ होली का दिव्य पर्व मना रहेे हैं।

आपके उपर जिस प्रकार पुष्पों की वर्षा की जा रही हैं वैसे ही आप भारत की इस दिव्य संस्कृति की वर्षा, यहां के दिव्य मंत्रों, सूत्रों व सिद्धान्तों की वर्षा अपने राष्ट्रों में करेंगे तो यह बंधुत्व का संदेश दूर तक जायेगा जिससे वर्तमान समय में पूरा विश्व जिन ज्वलंत समस्याओं का सामना कर रहा है उसका समाधान शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है।

प्रेमबाबा जी ने कहा कि मानव का एक ही धर्म है ‘आपस में प्रेम करना’। आपने सात दिनों तक परमार्थ निकेतन में जिस प्रेम का अनुभव किया उसे अपने साथ प्रसाद स्वरूप लेकर जाये यहीं महोत्सव की पूर्णाहुति है।

आज अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन सभी प्रतिभागियों ने माँ गंगा के पावन तट पर विश्व शांति के लिए मौन प्रार्थना की और विश्व शान्ति हवन में आहुतियाँ समर्पित कर इस विश्व विख्यात योग महोत्सव की पूर्णाहुति की।

आज के विशेष सत्र –

दिन के दिन की शुरुआत सुबह 6 बजे भीम प्राण पावर योग के साथ हुई, जिसका नेतृत्व योगिराज स्वामी जयंत सरस्वती जी ने किया। वे एक प्रसिद्ध प्राणायाम और पावर योग विशेषज्ञ है।

परमार्थ निकेतन में 22 वर्षों से अधिक समय से सेवारत योगाचार्य डॉ. इंदु शर्मा ने चक्र संरेखण आसन का नेतृत्व किया। संयुक्त राज्य अमेरिका की लीला योग की संस्थापक योगाचार्य एरिका कॉफमैन, हृदय खोलने वाले लीला योग विन्यास का अभ्यास कराया। मैट टू माइंड योग साधना का अभ्यास कराया।

दोपहर के भोजन के बाद, सत्व योग अकादमी के संस्थापक योगाचार्य आनंद मेहरोत्रा ने ‘‘द माइंड एंड द कॉसमॉस’’ विषय पर व्याख्यान दिया। वेदांत विशेषज्ञ गायत्री योगाचार्य ने अस्तित्व के स्वरूप पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। सेक्रेड साउंड स्टेज पर, अर्जेंटीना के सैंड्रा बार्न्स, संयुक्त राज्य अमेरिका के जोसेफ श्मिडलिन, ब्रुसेल्स के एस्ट्रिड स्लेगटेन और भारत के संज हॉल अद्भुत संगीत दिया।

आज की परमार्थ गंगा आरती में माँ गंगा जी के संगीत के साथ शिवमणि जी का ड्रम, सूफी गायिका रूना रिज़वी शिवमणि की आवाज़ ने अद्भुत जादू बिखेरा।

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