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न्योली-छपेली से गूंजी देहरादून की विरासत, उप्रेती बहनों ने पेश किए उत्तराखंडी पारंपरिक गीत

देहरादून के विरासत महोत्सव में उप्रेती बहनों ने न्योली, छपेली, सधाई गीत और अन्य पारंपरिक उत्तराखंडी गीतों की मधुर प्रस्तुतियाँ दीं, जिसमें गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी संस्कृति की सुंदरता की झलक मिली।

न्योली-छपेली से गूंजी देहरादून की विरासत

  देहरादून में चल रहे विरासत महोत्सव में गुरुवार की शाम उप्रेती बहनों ने न्योली और गणेश वंदना से शुरुआत करते हुए दिव्य आशीर्वाद का आह्वान किया। इसके बाद उन्होंने सगुन आखर, मंगल गीत तथा छपेली, सधाई गीत, छबीली, छंचुरी, हेनोली, रासो, सांठो-आठों जैसे पारंपरिक उत्तराखंडी गीत प्रस्तुत किए, जो पहाड़ी संस्कृति की लयबद्धता और काव्यात्मक सुंदरता को दर्शाते हैं। उप्रेती बहनों के साथ प्रतिभाशाली कलाकार दिनेश कृष्ण, पंडित अजय शंकर मिश्रा, राम चरण जुयाल मुरचन, राघव गौधियाल, अमित डंगवाल, रवीन राणा और मोहित जोशी ने भी प्रस्तुति दी, जिससे कार्यक्रम और भी मनमोहक बन गया।  

उत्तराखंड लोक संस्कृति की पहचानी हुई प्रस्तुतकर्ता उप्रेती बहनें

उप्रेती बहनें ज्योति उप्रेती सती और डॉ. नीरजा उप्रेती उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति को जीवंत रखने वाली प्रमुख प्रस्तुतकर्ता हैं। ये दोनों बहनें पारंपरिक गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी गीतों को बड़े उत्साह से प्रस्तुत करती हैं और भारत पर्व, यंग उत्तराखंड सिने अवार्ड्स जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं। बड़ी बहन ज्योति एक पेशेवर गायिका, संगीतकार और गीतकार हैं, जबकि छोटी बहन नीरजा एक फिजियोथेरेपिस्ट और लोकप्रिय गायिका हैं। इनके यू ट्यूब चैनल के माध्यम से भी वे संस्कृत श्लोक और उत्तराखंड के लोक गीतों का संरक्षण कर रही हैं, जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को लोकप्रियता मिल रही है।  
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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