उत्तराखंड में नगर निगम चुनाव के मतदान और मतदान गणना से राज्य के निगमों के नवनिर्वाचित पार्षद और महापौर तय हो चुके हैं लिहाजा अब वक्त है नवनिर्वाचित पार्षदों और महापौर का शपथ ग्रहण करके पदग्रहण करने का, आज शाम 5 बजे राज्य के सबसे बड़े नगर निगम का नवनिर्वाचित बोर्ड अपने पद की गोपनीय शपथ लेने जा रहा है, जिसमें माहपौर के साथ 100 पार्षद अपने पद की शपथ लेंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह में गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, मुख्यमंत्री समेत तमाम वीवीआइपी गेस्ट भी मौजूद रहेंगे जिनकी अध्यक्षता में नवनिर्वाचित बोर्ड को शपथ दिलाई जाएगी। देहरादून में शहर की सरकार की ताजपोशी के लिए मंच सज चुका है, लिहाजा शपथ ग्रहण को लेकर निगम में तेजी से कार्य किया गया, हालांकि, समय कम होने के कारण निमंत्रण पत्र छापवाने के बाद उन्हें बांटने में नगर निगम की आठ टीमें दिनभर जुटी रहीं। आज पहली बोर्ड बैठक के साथ ही आज से कार्यकाल भी शुरू हो जाएगा। हालांकि, नए बोर्ड के सामने सफाई व्यवस्था, स्ट्रीट लाइट से लेकर आय बढ़ाने समेत कई चुनौतियां भी खड़ीं हैं।
100 पार्षदों के संग महापौर आज लेंगे पदग्रहण की गोपनीय शपथ
उत्तराखंड के सबसे बड़े नगर निगम की सरकार की ताजपोशी के लिए देहरादून में मंच सज चुका है, जहां प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी आज शपथ लेगी। आज शाम पांच बजे महापौर समेत 100 पार्षद शपथ ग्रहण करेंगे, इस मौके पर गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, मुख्यमंत्री समेत तमाम वीवीआइपी गेस्ट के सामने महापौर को शपथ दिलाई जाएगी। गोपनीय शपथ ग्रहण समारोह को लेकर गुरुवार को स्वयं नगर आयुक्त नमामी बंसल ने मौके पर जाकर तैयारियों का जायजा लिया था,तो वहीं नगर निगम परिसर में टेंट लगाने के साथ ही साफ-सफाई और सजावट की जा चुकी है, पूरे निगम परिषर रंगीन रोशनी से भी निगम परिसर को सजाया गया है। इस बार शपथ ग्रहण समारोह पर करीब 12 से 15 लाख रुपये का खर्च आने का अनुमान है। जबकि, पिछली बार यह खर्च आठ लाख रुपये के करीब रहा था।
नए बोर्ड की राह नहीं आसान
राजधानी देहरादून में कूड़ा प्रबंधन और निस्तारण सबसे बड़ी समस्या है, नए बोर्ड को देहरादून जिले में कूड़े के शत -प्रतिशत निस्तारण के लिए और सावर्जनिक स्थलो से कूड़ा निपटान करने के लिए ठोस प्लान बनाने की आवश्यक्ता है। वहीं ट्रांसफर स्टेशन और कूड़ा निस्तारण प्लांट को व्यवस्थित और अधिक विस्तारित करने की भी जरुरत है। इसके अलावा सोर्स सेग्रीगेशन कर गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग निस्तारित कराना भी चुनौती है।