पाकिस्तान अपनी बदहाल होती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जूझ रहा है. जो पाकिस्तान कभी तालिबान को सत्ता में लाने के लिए मदद कर रहा था, उसी पाकिस्तान के लिए अब अफगानिस्तान का सत्तासीन तालिबान मुसीबत का सबब बन गया है. पाकिस्तानी तालिबान यानी टीटीपी अब पाकिस्तान में और ज्यादा मजबूत हो गए हैं. यह बड़ा खुलासा यूएनएससी की रिपोर्ट में हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी समिति द्वारा संकलित एक रिपोर्ट में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकवादी समूह के पुनरुत्थान और पाकिस्तान के अंदर फिर से संगठित होने पर प्रकाश डाला गया है- खासकर पड़ोसी अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टीटीपी ने अफगानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तान के जनजातीय क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल करने के अपने प्रयास काफी तेज कर दिए हैं. उसे काबुल के पतन से प्रोत्साहन मिला है और सीमा पार से उसे समर्थन मिल रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सदस्य देशों का आकलन है कि टीटीपी पाकिस्तान के खिलाफ अपने अभियानों में गति प्राप्त कर रहा है. कई अलग हुए समूहों के साथ पुनर्मिलन के बाद से टीटीपी ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से उत्साहित होने के बाद पाकिस्तान में क्षेत्र पर फिर से नियंत्रण स्थापित करने की महत्वाकांक्षा पाली है.’ इसमें पाकिस्तान में हाल के आतंकवादी हमलों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें कहा गया है कि टीटीपी सीमावर्ती क्षेत्रों में उच्च मूल्य वाले लक्ष्यों और शहरी क्षेत्रों में आसान लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.