Breaking: Important decisions of cabinet meeting
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में चल रही कैबिनेट की बैठक अभी-अभी समाप्त हो गई है। । आज में इन प्रस्तावों पर मुहर लगी।
राज्यपाल के अभिभाषण को मंजूरी।
गैरसैण सत्र में आने वाले बजट को मिली मंजूरी, सरप्लस रहेगा बजट।
सोलर पॉलिसी को मिली मंजूरी।
पर्यटन नीति का कैबिनेट के सामने हुआ प्रेजेंटेशन।
राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा ना आने पर अधिकारियों को पड़ी फटकार।
दूरसंचार, और श्रम विभाग की सेवा नियमावली को मंजूरी।
राजस्व और अलग-अलग विभागों की कब्जे की जमीनों को लेकर सीएम की अध्यक्षता में बनी सब कमेटी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक खत्म हो गई है, वहीं इस कैबिनेट बैठक में 23 प्रस्ताव आएं, जिन सभी पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है।
कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले :–
1. उत्तराखण्ड (सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 ( अधिनियम संख्या – 15 वर्ष, 1895) में उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में संशोधन
जनपद ऊधमसिंहनगर के सीमान्तर्गत पूर्वी पाकिस्तानी (वर्तमान बांग्लादेश) से वर्ष 1971 से पूर्व भारत आये शरणार्थी जिन्हें पुर्नवास योजना के अन्तर्गत कृषि हेतु सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 के अधीन जिला पुर्नवास कार्यालय, बरेली और जिला पुर्नवास कार्यालय, रुद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला ऊधमसिंहनगर द्वारा भूमि पट्टे पर आवंटित की गयी थी, तथा मूल पट्टेदार की सहमति से अन्य व्यक्ति जो दिनांक (09-01-2000 से पूर्व कब्जा प्राप्त कर उक्त भूमि पर काबिज थे, के विधिमान्यकरण हेतु उत्तराखण्ड (सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 ) ( अधिनियम संख्या 15 वर्ष 1895) में उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में संशोधन
2. उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1901 ) की धारा-1 में संशोधन एवं धारा-233क में अन्तः स्थापन।
प्रदेश स्तर पर नगर निकायों के विस्तार होने के फलस्वरूप “भू-राजस्व अधिनियम’ के अन्तर्गत राजस्व विभाग द्वारा की जाने वाली दाखिल-खारिज / म्यूटेशन की कार्यवाहियां बाधित हुई हैं, जिस कारण प्रदेश में आमजन को हो रही कठिनाईयों, भूमि विवादों की बढ़ती संख्या तथा भू-राजस्व में आयी कमी के दृष्टिगत अधिनियम में संशोधन
उक्त अधिनियम में संशोधन होने के फलस्वरूप ऐसे विस्तारित नगर निकाय क्षेत्रों में भूमि के दाखिल-खारिज / म्यूटेशन में आ रही कठिनाईयों का समाधान हो जायेगा. साथ ही भू-राजस्व में भी वृद्धि होगी।
3. अभिकर्ता / प्रचारक (सार्वजनिक सेवायानों द्वारा यात्रा करने के लिये सवारियां इकट्ठी करने एवं टिकटों की बिक्री हेतु) नियमावली 2023
परिवहन विभाग के अन्तर्गत उत्तराखण्ड मोटरयान नियमावली, 2011 के नियम 125 के अन्तर्गत टूर ऑपरेटर्स हेतु व्यवस्था की गयी थी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मोटरयान अधिनियम 1988 (यथा संशोधित, 2019) की धारा- 93 के अन्तर्गत जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में प्रस्तावित नियमावली के प्रख्यापन उपरान्त टूर आपरेटर्स द्वारा पंजीकरण करते हुए लाइसेंस प्राप्त किया जाएगा, जिससे राजस्व की प्राप्ति होगी। इसके अतिरिक्त पर्यटकों को समय-समय पर सुचारू सेवा न दिए जाने सम्बन्धी शिकायतों का निराकरण तथा टूर आपरेटर्स के विरुद्ध विधिवत कार्यवाही की जा सकेगी। टूर आपरेटर्स को उक्त नियमावली के अन्तर्गत पंजीयन किए जाने हेतु उन्हें जी०एस०टी० नम्बर भी प्राप्त करना होगा, जिससे जी०एस०टी० में भी राजस्व की प्राप्ति होगी।
4. मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की संशोधित गाईडलाईन
“मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना” को वित्तीय रूप से और अधिक व्यावहारिक बनाये जाने हेतु योजना गाईडलाईन में संशोधन किया गया है। इसके अन्तर्गत योजना को सूक्ष्य लघु एवं मध्यम विभाग की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के स्थान पर सूक्ष्य लघु एवं मध्यम उद्यम नीति-2015 के अन्तर्गत संचालित किया जायेगा जिसमें लाभार्थियों को 15% से 25% अनुदान के स्थान पर 15% से 40% तक अनुदान अनुमन्य होगा। 20 से 25 कि०वा० के संयंत्र के स्थान पर 50 कि०वॉo, 100 कि०वॉ0 एवं 200 कि०वॉ० के परियोजना संयंत्र स्थापित किये जायेगें। संयत्र लागत की दरों में वृद्धि के दृष्टिगत रु 40000 प्रति कि०वा० के स्थान पर रू 50000.00 प्रति कि०वा० की दरें निर्धारित की गयी है।
5. अधीनस्थ कृषि सेवा नियमावली, 1993 को प्रतिस्थापित करते हुए नवीन नियमावली, 2023 के प्रख्यापन
उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना संख्या-481/XIII-1/2010-3(08)/2006 देहरादून 28 मई, 2010 से कृषि विभाग में सिंगल विण्डों सिस्टम स्थायी रूप से लागू किया गया है। इसमें अधीनस्थ कृषि सेवा के पदों का पुर्नगठन करते हुए व्यवस्था को न्याय पंचायत स्तर पर ले जाया गया है। इस क्रम में उत्तराखण्ड राज्य की विशेष भौगोलिक स्वरूप के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश अधीनस्थ कृषि सेवा नियमावली 1993 को अधिक्रमित करते हुए उत्तराखण्ड अधीनस्थ कृषि सेवा नियमावली 2023 प्रख्यापित की जा रही है।
6. G-20 Summit से सम्बन्धित कार्यो/प्रस्तावों की स्वीकृति हेतु मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी (HPC) का गठन
उत्तराखण्ड राज्य में दिनांक 28 मार्च से 30 मार्च, 2023 (रामनगर, जनपद-नैनीताल), दिनांक 25 मई से 27 मई, 2023 तथा 26 जून से 28 जून, 2023 तक G-20 Summit से सम्बन्धित प्रस्तावित आयोजनों के दृष्टिगत लोक निर्माण विभाग, शहरी विकास विभाग, आवास विभाग, ऊर्जा विभाग, सिंचाई विभाग, पर्यटन विभाग तथा अन्य विभागों से निर्माण कार्य आदि विषयक EAP प्रोजेक्ट की तरह सम्बन्धित विभिन्न कार्यों की स्वीकृति हेतु मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी (HPC) का गठन हेतु प्रस्ताव किया गया।
7. राजकीय होटल मैनेजमेन्ट कैटरिंग टैक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन, देहरादून एवं अल्मोड़ा संस्थानों हेतु पूर्व में सृजित संगठनात्मक ढांचे को ए०आई०सी०टी०ई० के मानकों के अनुसार पदों का सृजन एवं पुर्नगठन
होटल व्यवसाय के क्षेत्र में लगातार हो रहे परिवर्तनों तहत होटल मैनेजेन्ट के क्षेत्र में उत्तराखण्ड राज्य के युवाओं को उच्च कोटि का प्रशिक्षण एवं शिक्षा प्रदान किये जाने एवं रोजगार के अवसर मुहिया कराये जाने के उददेश्य से राज्य में स्थित राजकीय होटल मैनेजमेन्ट संस्थाओं में डिग्री पाठ्यक्रमों का संचालन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद नई दिल्ली भारत सरकार के मानकों के तहत किया जाना अपेक्षित है, जिस हेतु राजकीय होटल मैनेजमेन्ट कैटरिंग टैक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन देहरादून एवं अल्मोडा संस्थानों के पूर्व में सृजित संगठनात्मक ढांचे को ए०आई०सी०टी०ई० के मानकों के अनुसार उक्त संस्थानों हेतु नियमित 48 पदों एवं नियत वेतन/आउटसोर्स के 50 पदों के सृजन एवं पुर्नगठन किये जाने का निर्णय लिया गया है।
8. सेवा का अधिकार अधिनियम, 2011 में संशोधन
नागरिकों को समयबद्ध एवं त्वरित रूप से सेवाओं को उपलब्ध कराये जाने एवं सेवा का अधिकार आयोग को अधिक प्रभावशाली एवं सशक्त बनाये जाने के दृष्टिगत “सेवा का अधिकार अधिनियम 2011” में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया है, जिसमें द्वितीय अपील निस्तारण हेतु समय-सीमा 45 दिवस निर्धारित करते हुए द्वितीय अपील का अधिकार, उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग को दिये जाने सहित शास्ति अधिरोपित करने की शक्ति प्रदान किये जाना, मुख्य आयुक्त और दो आयुक्तों की नियुक्तियाँ उत्तराखण्ड विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा करते हुए आयुक्तों की सेवा की कार्यावधि तीन वर्ष अथवा 65 वर्ष जो भी पहले हो किया जाना है तथा सेवा का अधिकार आयोग को सूचना आयोग की तरह न्यायालयों की अधिकारिता का वर्जन का अधिकार प्रदान किया जाना है। उपरोक्त निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2023 तैयार किया गया है।
9. उत्तराखण्ड परिवहन निगम के वर्ष 2009-10 से 2015-16 तक के वार्षिक लेखे एवं सम्परीक्षा प्रतिवेदन विधान मण्डल के पटल पर रखे जाने के सम्बन्ध में
सड़क परिवहन निगम अधिनियम, 1950 की धारा 33 की उपधारा (1) (2) (3) (4) के प्राविधानानुक्रम में उत्तराखण्ड परिवहन निगम के वित्तीय वर्ष 2009-10 से 2015-16 तक के वार्षिक लेखे एवं सम्परीक्षा प्रतिवेदन निगम बोर्ड से अनुमोदन एवं महालेखाकार, भारत सरकार से ऑडिट के उपरान्त विधान मण्डल के पटल पर रखे जाने की मा. मंत्रिमण्डल द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है।
10. उत्तराखण्ड सड़क परिवहन दुर्घटना राहत निधि (संशोधन) नियमावली 2023
उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत समय-समय पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में यात्री की मृत्यु होने, घायल व गम्भीर रूप से घायल होने पर सम्बन्धित एवं उसके आश्रितों को दुर्घटना राहत राशि दिये जाने के सम्बन्ध में उत्तराखण्ड सड़क परिवहन दुर्घटना राहत निधि नियमावली. 2008 का प्रख्यापन किया गया था।
वर्तमान में सार्वजनिक सेवायान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर दुर्घटना से प्रभावितों को राहत राशि प्रदान किये जाने से पूर्व मजिस्ट्रीयल जांच की अनिवार्यता विद्यमान है जिस कारण प्रभावितों को उक्त राहत राशि प्रदान किये जाने में संभावित विलम्ब को देखते हुए मजिस्ट्रीयल जांच की अनिवार्यता समाप्त किये जाने एवं दुर्घटना राहत निधि मद में जिलाधिकारी के निवर्त्तन पर धनराशि रखने की सीमा ₹25.00 लाख को बढ़ाकर ₹50.00 लाख किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव पर मा. मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।
11. उत्तराखण्ड वन विकास निगम के वित्तीय वर्ष 2019-20 के वार्षिक लेखों की सम्परीक्षा राज्य विधान सभा को प्रस्तुत किये जाने के सम्बन्ध में
1. उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना संख्या-169 दिनांक 08 जून, 2012 में उत्तराखण्ड चन विकास निगम प्रथम संशोधन अधिनियम 2012 की उपधारा 02 एवं 04 में प्राविधान है कि “वन विकास निगम के लेखे प्रतिवर्ष भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक या उनके द्वारा एतदर्थ प्राधिकृत किसी भी व्यक्ति द्वारा यथाप्रमाणित निगम के लेख लेखापरीक्षा रिपोर्ट सहित राज्य सरकार को प्रतिवर्ष भेजे जायेंगे।
2. “उत्तर प्रदेश वन निगम अधिनियम, 1974 (उत्तराखण्ड में यथाप्रवृत ) ” के अध्याय-5 प्रस्तर 26(1) में प्राविधान है कि निगम प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पश्चात् जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान किये गये अपने कार्य-कलापों का लेखा दिया जाएगा, तैयार करेगा और उसे राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा राज्य सरकार ऐसी रिपोर्ट के प्राप्त होने के पश्चात उसे यथाशक्य शीघ्र, राज्य विधान मण्डल के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगी।”
3. उपरोक्त प्रावधानों के दृष्टिगत उत्तराखण्ड वन विकास निगम के वर्ष 2019-20 के आर्थिक चिट्ठे प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) उत्तराखण्ड द्वारा प्रमाणित कर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन (Separate Audit Report) को आगामी विधान सभा सत्र में सदन के पटल पर चर्चा हेतु रखने से पूर्व मा० मंत्रिमण्डल का अनुमोदन प्राप्त किया गया है।
12. राज्य की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2022-23 में कय किये जाने वाले गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य निर्धारित किये जाने के संबंध में
राज्य की सहकारी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्रों के दौरान कय किये जाने वाले गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य इस हेतु गठित राज्य परामर्शी समिति की संस्तुति के आधार पर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
पेराई सत्र 2022-23 हेतु उत्तराखण्ड राज्य की चीनी मिलों द्वारा कय किये वाले गन्ने का मूल्य निर्धारित किये जाने हेतु गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग से जुड़े समस्त पक्षों से विचार विमर्श कर संस्तुतियां शासन को उपलब्ध कराने हेतु राज्य परामर्शी समिति का गठन किया गया।
राज्य परामर्शी समिति द्वारा विगत पेराई सत्र 2021-22 हेतु निर्धारित गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य को वर्तमान पेराई सत्र हेतु भी यथावत रखे जाने की संस्तुति की गयी है। उक्त संस्तुति के क्रम में पेराई सत्र 2022-23 हेतु राज्य परामर्शित मूल्य को निम्नवत् रखे जाने का निर्णय लिया गया है:-
अगेती प्रजाति : रू० 355.00 प्रति कुन्टल (मिल गेट पर)
सामान्य प्रजाति : रू० 345.00 प्रति कुन्टल (मिल गेट पर)
“चीनी मिलों के बाह्य कय केन्द्रों से गन्ने का परिवहन मिल तक कराये जाने के मद में होने वाली कटौती विगत पेराई सत्र की भांति रू० 09.50 प्रति कुन्तल निर्धारित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
13. भवन निर्माण एवं विकास उपविधि/विनियम, 2011 (समय-समय पर यथा संशोधित) में विद्युत वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्राविधान किये जाने के संबंध में*
एकल आवासीय भवनों को छोड़ते हुए समस्त विद्यमान गैर आवासीय भवनों ( यथा ग्रुप हाउसिंग, प्लाटेड, होटल, मोटल, मल्टीप्लेक्स, गेस्ट हाउस, लॉजेज तथा अन्य गैर आवासीय भवन इत्यादि) भवनों में ( 1500 वर्ग मी0 से अधिक भूखण्ड क्षेत्रफल में) कुल स्वीकृत पार्किंग ECS (Eqivalent Car space) Bay में से 03 प्रतिशत ECS Bay अथवा 1 ECS Bay, जो भी अधिक हो, में 2-wheeler तथा 2 प्रतिशत ECS Bay अथवा 1 ECS Bay, जो भी अधिक हो, में 4- wheeler, Electric Vehicle Charging Infrastructure की व्यवस्था की जानी आवश्यक होगी।
प्रस्तावित समस्त प्रकार के नव निर्माण, जो 1500 वर्ग मी0 से अधिक भूखण्ड क्षेत्रफल में प्रस्तावित हो. में (एकल आवासीय को छोड़कर) स्वीकृत पार्किंग ECS के न्यूनतम 10 प्रतिशत ECS (Municipal Corporations Towns में) एवं 05 प्रतिशत ECS (Other Towns) अथवा 1 ECS जो भी अधिक हो, पर Electric Vehicle Charging Infrastructure सुविधा की व्यवस्था की जानी आवश्यक होगी। कुल Electric Vehicle Charging Bay में 60:40 के अनुपात में 2 wheeler तथा 4-wheeler की चार्जिंग सुविधा की व्यवस्था की जायेगी।
14. जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों को मानचित्र स्वीकृति से प्राप्त होने वाले विकास शुल्क की धनराशि के वितरण के सम्बन्ध में।
जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों को मानचित्र स्वीकृति से प्राप्त होने वाले विकास शुल्क में से 10 प्रतिशत धनराशि का व्यय प्रशासनिक कार्य तथा शेष 90 प्रतिशत धनराशि का व्यय अवस्थापना मद में किया जाता है। राज्य के स्थानीय नगर निकायों के अंतर्गत मलिन बस्तियों में सुधार के उद्देश्य से जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों को प्राप्त होने वाले विकास शुल्क में से 10 प्रतिशत भाग, सम्बन्धित स्थानीय नगर निकायों को दिया जाना है। इस धनराशि का उपयोग स्थानीय नगर निकायों के अंतर्गत मलिन बस्ती पुनर्वास एवं उससे संबंधित अवस्थापना सृजन हेतु किया जाएगा। विकास शुल्क से प्राप्त होने होने वाली धनराशि का समुचित वितरण, व्यय एवं अनुश्रवण संबंधित मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जायेगा, जिसमें संबंधित प्राधिकरण के उपाध्यक्ष / जिलाधिकारी, सदस्य सचिव एवं नगर आयुक्त / मुख्य नगर अधिकारी / अधिशासी अधिकारी, संबंधित स्थानीय निकाय, समिति में सदस्य होंगे।
15. उत्तराखण्ड संविदा श्रमिक (विनियमन तथा उत्सादन) (संशोधन) नियमावली 2023*
प्रस्ताव प्रस्तावित नियमावली द्वारा उत्तराखण्ड संविदा श्रमिक (विनियमन तथा उत्सादन) नियमावली, 2003 के नियम 17 में यह संशोधन प्रस्तावित किया जा रहा है कि यदि अधिष्ठानों के रजिस्ट्रीकरण (Registration) के लिए मुख्य नियोजक, श्रम विभाग उत्तराखण्ड शासन की अधिकारिक पोर्टल पर पूर्व निर्धारित शुल्क के प्रमाण के साथ प्रासंगिक अभिलेखों सहित उपलब्ध ऑन लाइन प्रारूप में आवेदन अपलोड करता है और आवेदन करने के 20 दिन में यदि संबंधित प्राधिकारी द्वारा पंजीयन / आवेदन पर निर्णय नहीं लिया जाता है, तो पंजीयन स्वतः स्वीकृत (Deemed Registration) समझा जाएगा।
उक्त के अतिरिक्त प्रस्तावित नियमावली द्वारा यह संशोधन भी प्रस्तावित किया जा रहा है कि यदि संविदाकार द्वारा अनुज्ञा (License) प्राप्त करने के लिए श्रम विभाग उत्तराखण्ड शासन की अधिकारिक पोर्टल पर पूर्व निर्धारित शुल्क के प्रमाण के साथ प्रासंगिक अभिलेखों सहित उपलब्ध ऑन लाइन प्रारूप में आवेदन अपलोड करता है और आवेदन करने के 20 दिन में यदि संबंधित प्राधिकारी द्वारा अनुज्ञा / आवेदन पर निर्णय नहीं लिया जाता है, तो अनुज्ञा स्वतः स्वीकृत (Deemed Licensing) समझा जाएगा।
16. उत्तराखण्ड पुलिस दूरसंचार राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली 2023 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में
उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरांत पुलिस दूरसंचार विभागान्तर्गत राजपत्रित संवर्ग हेतु नवीन सेवा नियमावली प्रख्यापित न हो पाने के दृष्टिगत वर्तमान में उनकी सेवा शर्तों का विनियमन उ०प्र० पुलिस रेडियो सेवा नियमावली 1979 में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है। अतः राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर सेवा शर्तों में किये गये परिवर्तन / संशोधन के अनुसार संवर्ग की सेवानियमावली को अद्यतन किये जाने तथा साथ ही पुलिस उपाधीक्षक (पुलिस दूरसंचार) के पद पर चयन हेतु शैक्षणिक अर्हता / चयन प्रक्रिया में आवश्यक संशोधन किये जाने के दृष्टिगत उत्तराखण्ड पुलिस दूरसंचार राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली 2023 को प्रख्यापित किये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।
17.*स्टेट इन्स्टीटयूट ऑफ होटल मैनेजमेन्ट कैटरिंग टैक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन नई टिहरी संस्थान के शैक्षिणिक स्टॉफ को ए०आई०सी०टी०ई० के मानकानुसार न्यूनतम प्रवेश वेतन अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में
होटल व्यवसाय के क्षेत्र में लगातार हो रहे परिवर्तनों के तहत होटल मैनेजेन्ट के क्षेत्र में उत्तराखण्ड राज्य के युवाओं को उच्च कोटि का प्रशिक्षण एवं शिक्षा प्रदान किये जाने एवं रोजगार के अवसर मुहिया कराये जाने के उददेश्य से राज्य में स्थित होटल मैनेजमेन्ट संस्थाओं में डिग्री पाठ्यक्रमों का संचालन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् नई दिल्ली भारत सरकार के मानकों के तहत किया जा रहा है. जिस हेतु स्टेट इन्स्टीटयूट ऑफ होटल मैनेजमेन्ट कैटरिंग टैक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन, नई टिहरी संस्थान में कार्यरत शैक्षिणिक स्टॉफ को ए०आई०सी०टी०ई० के मानकानुसार सहायक प्रोफेसर हेतु रू० 57.700/- एवं प्राचार्य / निदेशक हेतु रू0 1,44,200 /- का न्यूनतम प्रवेश वेतन अनुमन्य किये जाने का निर्णय लिया गया है।
18. *राज्य सरकार द्वारा फिल्म शीर्षक ‘कश्मीर फाइल्स’ तथा ‘सम्राट पृथ्वीराज’ को राज्य के भीतर प्रोत्साहित किये जाने के क्रम में एस०जी०एस०टी० की प्रतिपूर्ति किये जाने हेतु विचलन से अनुमोदित निर्णय को मा० मंत्रिमण्डल के संज्ञानार्थ प्रस्तुत किये जाने के सम्बन्ध में
1. राज्य सरकार द्वारा फिल्म शीर्षक कश्मीर फाइल्स’ तथा ‘सम्राट पृथ्वीराज को राज्य के भीतर प्रोत्साहित किये जाने के क्रम में एस०जी०एस०टी० की प्रतिपूर्ति किये जाने का निर्णय तात्कालिकता के दृष्टिगत विचलन द्वारा प्राप्त करते हुए शासनादेश निर्गत किये गये थे ।
19. उत्तराखण्ड अन्वेषण प्रक्रिया नियमावली, 2022
मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में योजित M.A. No. 505/2022 in SMW (Crl) No-1/2017 In Re To Issue Certain Guidelines Regarding Inadequacies And Deficiencies in Criminal Trials वाद में पारित आदेश दिनांक 20.04.2021 के अनुपालन में उत्तराखण्ड अन्वेषण प्रक्रिया नियमावली, 2022 पर प्रकरण की तात्कालिकता के दृष्टिगत विचलन के माध्यम से मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनोपरान्त गृह अनुभाग-5. उत्तराखण्ड शासन के शासनादेश संख्या-635/2022- XX-5-11 (38) 2022 दिनांक 28.06.2022 को जारी अधिसूचना के माध्यम से उत्तराखण्ड अन्वेषण प्रक्रिया नियमावली, 2022 प्रख्यापित / अधिसूचित की गयी है।
20. मुख्यमंत्री घोषणा संख्या-1548/2021 विधानसभा क्षेत्र 45 गंगोलीहाट के अन्तर्गत नगर पंचायत बेरीनाग को नगर पालिका परिषद का दर्जा दिया जाना है। जिससे उक्त क्षेत्र के निवासियों को प्रकाश, सीवर लाईन, पक्की लाईन सड़कें, साफ-सफाई सम्पर्क मार्ग, शौचालयों आदि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध होगी*
21. प्राधिकरण क्षेत्रान्तर्गत महायोजना क्षेत्र में औद्योगिक भू-उपयोग में औद्योगिकइकाईयों की स्थापना हेतु मानचित्र स्वीकृति में स्वप्रमाणन प्रक्रिया अपनाये जाने के संबंध में
महायोजना क्षेत्र में भू उपयोग के सापेक्ष ही निर्माण एवं अन्य गतिविधियों की अनुमन्यता होती है। चूंकि, उत्तराखण्ड राज्य एक पर्वतीय प्रदेश है, जहां पर आर्थिक उन्नयन की गतिविधियां सीमित हैं। इस स्थिति में राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने एवं राज्य में औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु उद्यमियों को प्राधिकरण क्षेत्रान्तर्गत महायोजना क्षेत्र में औद्योगिक भू-उपयोग के अन्तर्गत औद्योगिक मानचित्र स्वीकृति को सरलीकृत किए जाने के दृष्टिगत स्वप्रमाणन प्रणाली (Self Certification) विकसित किया जाना है। स्वप्रमाणन हेतु पंजीकृत वास्तुविद् तथा स्ट्रक्चरल इंजीनियर के माध्यम से उपविधि के अनुसार मानचित्र, स्ट्रक्चरल ड्राईंग एवं सेफ्टी डिजाइन तैयार किया जायेगा तथा सेल्फ सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
सेल्फ सर्टिफिकेशन के अन्तर्गत केवल भवन उपविधि में वर्णित Low and medium risks & Green and White Pollution प्रकार के औद्योगिक इकाइयों जिनकी ऊँचाई 12 मी0 से कम तथा Slope 30 डिग्री से कम हो, उनके लिए ही आवेदन किया जा सकता है।
22.आईफेड के वित्त पोषण से नई परियोजना-ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (Rural Enterprise Accelaration Project- REAP) के ढांचे में निम्नानुसार संशोधन प्रस्तावित
1. पी०एम०यू० कार्यालय हेतु तकनीकी विशेषज्ञ लेवल-10 के 03 अतिरिक्त पदों को सृजित किया जाना है।
2. कतिपय पदों को Management Consulting Firm (MCF) से हटाकर HR Agency में शामिल किया गया है, जिससे व्ययभार में कमी हो रही है।
3. आजीविका समन्वयक, अधिकतम रू० 30,000/- के सृजित 135 पदों में से 40 पदों
को कम करते हुए 95 पद किये जाने का प्रस्ताव है।
4. उत्तराखण्ड पवतीय आजीविका सर्वद्धन कम्पनी (उपासक) के अन्तर्गत मुख्य कार्यकारी अधिकारी, लेवल-11 (ग्रेड वेतन रू0 6600) का 01 पद सृजित किये जाने का प्रस्ताव है।
5. ग्रामीण वित्त समन्वयक का मासिक मानेदय रू0 30000/- के स्थान पर 35000/- किये जाने का प्रस्ताव है।
प्रस्तावित ढांचे के पुनर्गठन / संशोधित किये जाने के उपरान्त कुल रू0 1445.20 लाख वार्षिक व्यय भार की बचत हो रही है।
23. *राज्य के विभिन्न श्रेणीयों की भूमियों को विनियमित किये जाने हेतु विचार विमर्श किया गया। इस हेतु मंत्रिमंडल की उपसमिति गठित करने के लिए मुख़्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।