
UTTARAKHAND NEWS: उत्तराखंड में लागू यूसीसी यानि समान नागरिक संहिता के तहत अब नेपाल, तिब्बत और भूटान के नागरिकों से विवाह करने वाले लोगों को भी शादी का पंजीकरण कराने की सुविधा मिल गई है। राज्य सरकार ने इस संबंध में आवश्यक संशोधन अधिसूचित कर दिया है। पहले यूसीसी के तहत केवल उत्तराखंडी नागरिकों के बीच हुई शादियों का ही पंजीकरण किया जा सकता था। जबकि, उत्तराखंड के कई इलाके ऐसे हैं जहां इन तीनों देश के मूल निवासियों के साथ विवाह होते हैं और वे राज्य में प्रवास करते हैं। नेपाल, भूटान और तिब्बत के नागरिकों के साथ विवाह के कई मामले सामने आने के बाद अब सरकार ने इस प्रावधान में संशोधन किया है। अब ऐसे सभी विवाह- यदि वे कानूनी रूप से वैध हैं तो यूसीसी के तहत दर्ज किए जाएंगे, जिससे दंपतियों को संपत्ति, उत्तराधिकार, बैंकिंग और अन्य कानूनी अधिकारों से जुड़ी सुविधाएं आसानी से मिल सकेंगी। यह कदम सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के हित में उठाया गया है, जहां लंबे समय से इस प्रकार की शादियां आम हैं, लेकिन दस्तावेज़ी मान्यता के अभाव में कानूनी दिक्कतें सामने आती थीं।
भारत में कम से कम 180 दिन प्रवास का प्रमाणपत्र होना आवश्यक
अब सरकार का मानना है कि यह निर्णय न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि विवाह से जुड़े विवादों के निस्तारण में भी मददगार साबित होगा। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता को लागू किया है, और अब इस नए प्रावधान से इसकी परिधि को और भी व्यापक किया है। अब तक यूसीसी में कई बदलाव किए गए, इसी के अंतर्गत एक समस्या थी कि यदि किसी ने नेपाल, तिब्बत और भूटान के महिला या पुरुष से शादी की है, तो उनका पंजीकरण कैसे होगा? तो वहीं अब इस संबंध में आवश्यक संशोधन अधिसूचित कर दिया गया है। आपको बता दें यूसीसी की नियमावली में संशोधन को लेकर बीते दिन हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है। इसमें बस नेपाल मूल के लोगों के पास उनके स्थानीय प्रशासन से जारी वैध पहचान पत्र और भारत में कम से कम 180 दिन प्रवास का प्रमाणपत्र होना आवश्यक होगा। यानि वैध पहचान पत्र व भारत में वैध प्रवास अवधि के प्रमाणपत्र के आधार पर पंजीकरण कराया जा सकेगा।
सिमरन बिंजोला








