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स्कूलों में विद्यार्थी ना होने कि याचिका पर सुनवाई

गैरजिम्मेदारी कि वजह से नहीं है एक भी विद्यार्थी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नंदलाल द्वारा दायर की गई याचिका कि सुनवाई में यूपी सरकार से प्रदेश के उन प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों की जानकारी मांगी है जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है। न्यायालय ने राज्य सरकार से काउंसिल स्कूलों कि खराब हालत व क्वालिटी ऑफ एजूकेशन के बारे में भी जानकारी देने को कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में नंदलाल द्वारा दर्ज कि गई जनहित याचिका के अनुसार प्रयागराज के दारागंज स्थित प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल समेत बहुत स्कूलों की दुर्दशा हो रखी है। केस में कोर्ट के समक्ष ऑपोजिशन डिविजन एजूकेशन ऑफिसर की एक समीक्षा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्री सैकेंडरी स्कूल में अध्यापकों व शिक्षा विभाग कि गैरजिम्मेदारी कि वजह से वर्तमान में एक भी विद्यार्थी नहीं है। इसी तरह दूसरे स्कूलों कि भी शिक्षा स्तर के खराब हालात है। याचक का कहना है कि कई अध्यापकों को चौथी क्लास के लेवल कि भी इंग्लिश नहीं आती है साथ ही शुद्ध हिंदी व विज्ञान के फॉर्मूले भी नहीं आते हैं।

न्यायालय ने इस मामले जताई है नाराजगी

याचक का कहाना है कि स्कूलों की खराब हालत कि वजह से बच्चों के मात-पिता उन्हें काउंसिल स्कूलों में नहीं भेज रहे है जिस वजह से स्कूल में काई भी विद्यार्थियों नहीं है। याचिका कि सुनावई के बाद उच्च न्यायालय नें इस मामले में नाराजगी जाताते हुए राज्य सरकार से पूरे प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थीयों के आंकडों का रिकॉर्ड देने को कहा है। अंजली सजवाण

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