उत्तराखंड के सैनिक हर जगह अहम भूमिका निभाते आए है, चाहे वह सीमा पर या फिर किसी चुनावी रणनीति में, हर जगह पर सैनिक हमेशा अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते है। कहा जाता है कि जिस पार्टी की तरफ सैनिक वोटर चला जाए, उस पार्टी का पलड़ा हमेशा भारी हो जाता है। सैनिक वोटर का पलड़ा भारी होने के कारण सभी राजनीतिक दलों द्वारा सैनिक वोटरों को अपनी तरफ लुभाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। विधानसभा चुनावों की नजदीकी से सारी पार्टियां सैनिकों को अपनी पार्टी में लाने पर जोर दे रहे है, वहीं किसी स्थान पर सैनिक सम्मान की यात्रा निकाली जा रही है तो कहीं सम्मेलन कराए जा रहे है।
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हर एक पार्टी के लोग स्वयं को देशभक्त मान सैनिकों को अपनी तरफ खींचने में लगे हुए है। उत्तराखंड में लगभग हर परिवार से एक न एक सदस्य तो देशसेवा में कार्यरत है और लगभग 12 फीसदी तक मतदाता सैनिकों के परिवारों में से है। सैनिकों और पूर्व सैनिकों की लगभग 2.67 लाख की संख्या प्रदेश में है, जो कुल वोटरों का लगभग 3.30 प्रतिशत है। राजनीतिक पार्टियों द्वारा ऐसे में सैनिक वोटरों पर नजर रखी हुई है, इसी को देखते हुए प्रदेश की सरकार सैनिकों के कल्याण के लिए हमेशा कुछ न कुछ प्रयास करती रहती है।
सिमरन बिंजोला