बीती 26 मई को बिजनौर निवासी जितेंद्र सैनी और उवेस खान ने पुरोला में एक नाबालिग लड़की को भगाने का प्रयास किया। जिन्हें स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने युवकों को पकड़ लिया था। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
घटना के बाद से पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों की एक भी दुकान नहीं खुल पाई है। पुरोला में 30 से अधिक दुकानें पिछले 18 दिनों से बंद हैं, जबकि 14 व्यापारियों ने दुकानें खाली कर दी हैं।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ते लव जिहाद को लेकर जो आक्रोश स्थानीय लोगों में फैला उसके चलते ही उत्तराखंड के उत्तरकाशी (पुरोला) में 15 जून को महापंचायत बुलाने का आह्वान हिंदू संगठनों द्वारा किया गया। इस महापंचायत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई,जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मसला है। आप सुप्रीम कोर्ट क्यों आ गए। आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए। आप हाईकोर्ट जाइये। कोर्ट ने आगे कहा कि आपको प्रशासन पर भरोसा क्यों नहीं है ? आपको क्यों लगता है कि प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में हाइकोर्ट जाने की सलाह दी। “
हालांकि पुरोला में महापंचायत को लेकर प्रशासन ने किसी भी संगठन को अभी तक अनुमति नहीं दी है। साथ ही पुरोला में धारा 144 लागू करने की तैयारी की जा रही है। लेकिन,महापंचायत करवाने को लेकर विश्व हिंदू परिषद व हिंदू संगठन पूरी तरह से अड़े हुए हैं।
वहीं,सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमने लोगों से कहा है कि आप शांति व्यवस्था बनाए रखें। कोई भी कानून को अपने हाथों में ना लें। अभी तक जितनी भी घटनाएं हुई हैं, प्रशासन ने उस पर सही तरह से काम किया है। अभी तक मारपीट या लूटपाट जैसी कोई घटना नहीं हुई है। अगर कोई दोषी होगा तो उसके खिलाफ कानून काम करेगा।