जोशीमठ से विनय। बदरीनाथ मंदिर से 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित चरण पादुका भगवान बद्री विशाल के मंदिर से 3 किलोमीटर की चढ़ाई करने के बाद समुद्र तल से 3380 फीट की ऊंचाई पर स्थित चरण पादुका नामक स्थान के दर्शन करने से सभी प्रकार के दोषों एवं रोगों से मुक्ति मिलती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर भगवान श्री हरि नारायण ने अपने चरण रखे थे। इस स्थान पर आज भी भगवान विष्णु के पद चिन्हों के निशान दिखाई देते हैं।
चारों ओर से बर्फीली चोटियों से घिरे इस स्थान के दर्शन करने से भगवान बद्री विशाल की यात्रा पूर्ण पूर्ण होती है। और तीर्थयात्री प्रकृति की इस अलौकिक सुंदरता का दीदार करने से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
भगवान बद्री विशाल के मंदिर से कुछ मीटर तक बाएं ओर चलने के बाद दाहिनी तरफ से श्री चरण पादुका के लिए सीढ़ियां ऊपर की तरफ जाती हुई दिखाई देती हैं। इन सीढ़ियों से चरण पादुका की चढ़ाई शुरू करने के बाद रास्ते में कई गुफाएं और बड़ी-बड़ी अजीब सी आकृतियों वाली चट्टाने दिखाई देती है जो श्री चरण पादुका के पूरे मार्ग का संकेत देती है।
चरण पादुका पहुंचने पर यह स्थान एक ओर से नारायण पर्वत और दूसरी ओर से नीलकंठ चोटी से घिरा हुआ है। इस स्थान के आधे बाएं भाग में ऋषि गंगा एक झरने के रूप में कल-कल करती दिखाई देती है। यहां की सुंदरता को देख यहां पहुंचने वाले हर आस्तिक का ह्रदय भगवान श्री हरि के चरणों में ही समर्पित रह जाता है।
श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने उद्धव जी को बुरे व्यसनों एवं व्यवहारों से बचने के लिए श्री बद्रीनाथ धाम और उसके बाद श्री चरण पादुका जाने के लिए प्रेरित किया था। उल्लेखनीय है कि आज भी उद्धव को भगवान नारायण के चल विग्रह के रूप में पूजा जाता है।