uttarakhand news : उत्तराखंड में हाल के महीनों में 12 से 17 वर्ष आयु वर्ग के किशोरों के घर से भागने के मामलों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। पुलिस रिकॉर्ड और बाल संरक्षण इकाइयों के अनुसार, बीते एक वर्ष में इस आयु वर्ग के बच्चों के लापता होने के मामलों में करीब 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अधिकांश मामलों में कारण पारिवारिक तनाव, सोशल मीडिया का प्रभाव, ऑनलाइन गेमिंग की लत और पढ़ाई का दबाव सामने आया है। कई किशोर मामूली डांट-फटकार या झगड़े के बाद बिना बताए घर छोड़ देते हैं। कई बार ये बच्चे बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों या बड़े शहरों में भटकते पाए जाते हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकारियों का कहना है कि घर से भागने की प्रवृत्ति सामाजिक और मानसिक दोनों स्तरों पर चिंता का विषय है।
साइबर सेल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निगरानी के निर्देश
आयोग ने माता-पिता से अपील की है कि वे बच्चों के साथ संवाद बढ़ाएं और उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें। वहीं, पुलिस विभाग ने लापता बच्चों की खोज के लिए “ऑपरेशन मुस्कान” और “ऑपरेशन स्माइल” के तहत विशेष अभियान चलाने की तैयारी की है। साइबर सेल को भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निगरानी के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी गिरोह या असामाजिक तत्व द्वारा बच्चों को बहकाने की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि किशोरावस्था संवेदनशील दौर होता है, ऐसे में अभिभावकों और शिक्षकों दोनों को बच्चों के व्यवहार में हो रहे बदलावों को समझने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि समय रहते हस्तक्षेप कर ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
सिमरन बिंजोला