रुद्रपुर। एनसीईआरटी की पुस्तकों के साथ निजी विद्यालयों द्वारा महंगी पुस्तकों को लगाने को लेकर पूर्व शिक्षा मंत्री एवं विधायक अरविंद पांडे आक्रामक तेवर में नजर आए। उत्तराखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के बयान से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने 4 मुख्य शिक्षा अधिकारियों और 15 खंड शिक्षा अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने की मांग की है, जिसके लिए वह शिक्षा महानिदेशक वंशीधर तिवारी से बात करने वाले है।
शिक्षा मंत्री रह चुके अरविंद पांडे का कहना है, कि अभिभावकों की पीड़ा को समझते हुए, उनकी सरकार ने एनसीईआरटी पुस्तकों को लागू करवाने का काम किया था, क्योंकि एक तो एनसीईआरटी की पुस्तकें सस्ते दामों पर उपलब्ध हो जाती है, और दूसरा एनसीआरटी एक धर्म ग्रंथ है, जिससे अच्छी शिक्षा हासिल होती है। लेकिन कुछ शिकायतें जिस तरीके से मिल रही हैं, उससे लग रहा है कि कुछ स्कूलों ने महंगी किताबें खरीदवाने का काम किया है, जिससे अभिभावक परेशान है, कुछ अधिकारियों की लापरवाही से सरकार बदनाम हो रही है, जिसे वह होने नहीं देंगे। इसलिए ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिनकी लापरवाही है, उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी को उन्होंने निर्देश दिए हैं, कि जिन स्कूलों ने नियमों के विपरीत जाकर महंगी किताबों को खरीदवाने का काम किया है,
उनकी मान्यता को समाप्त किया जाए, साथ ही जिन 4 जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने की मांग पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे कर रहे हैं, उनमें देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी हैं।
ऐसे में देखना होगा कि आखिर कार जिस तरीके से पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के तेवर इस समय देखने को मिल रहे हैं, क्या सरकार ऐसे अधिकारियों पर वास्तव में सस्पेंड की कार्रवाई करेगी जो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने में नाकाम रहे है और 4 जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों के साथ 15 खंड शिक्षा अधिकारियों में से क्या किसी पर कोई कार्रवाई सरकार करती है।
उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि किताबों के नाम पर लूट बंद नहीं हुई तो इसकी जिम्मेदारी संबधित अधिकारी की होगी। सोमवार को गूलरभोज आवास स्थित कैंप कार्यालय में पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने खंड शिक्षा अधिकारी ब्लॅाक गदरपुर बीएन पांडे व अन्य विभागीय अधिकारियों की बैठक ली।उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जनहित में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू की हैं। इसके बावजूद निजी विद्यालयों द्वारा साथ में मंहगी किताबें लगाकर अभिभावकों को लूटा जा रहा है।
उन्होंने डीएम से फोन पर वार्ता कर कहा कि जिले की एनसीईआरटी पुस्तकों के विषय में समीक्षा बैठक की जाए। जिन अधिकारियों की लापरवाही से विद्यालयों में महंगी पुस्तकें लगाकर ठगी की जा रही है, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। जिन विद्यालयों में बच्चों के पाठ्यक्रम की पुस्तकों और संबंधित सामग्री को चिह्नित किए गए स्थानों से लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है, उसे शीघ्र रोका जाए। उन्होंने कहा कि मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।