Chhath Puja 2025: छठ का त्योहार इस महीने के अंत में है। इससे पहले पूरे बिहार में त्योहार की गर्मजोशी है। छठ में बांस से बुने सूप, मिट्टी के दीए और दूसरे बर्तनों की काफी मांग होती है। ये पूजा के लिए जरूरी हैं। लेकिन अब इन सामानों को बनाने वाले कारीगरों के लिए गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। मुजफ्फरपुर में बांस से सूप और त्योहार के दूसरे सामान बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस काम में उन्हें ना के बराबर मुनाफा हो रहा है। उनका कहना है कि कच्चे माल, खासकर बांस की बढ़ती कीमतों से वे परेशान हैं।
मिट्टी के दीए और बर्तन बनाने वालों की भी समस्या
छठ में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के दीए और बर्तन बनाने वालों का भी यही हाल है। इसमें कारीगर सुबोध पंडित का कहना है कि मिट्टी के बर्तनों की उचित कीमत नहीं मिलती और आर्थिक मदद भी नहीं मिल रही और वही सुखलाल पंडित का कहना है, हमारा काम भी मुश्किल में है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
पूजा के सामानों की बढ़ती कीमतों से परेशान महिलाएं
इन हाथ से बने सामानों का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। पूरे बिहार में महिलाएं छठ के दौरान इन्हीं से सूर्य देव को अर्घ्य देने की तैयारी करती हैं। संगीता देवी का कहना है कि पूजा के लिए जरूरी सामानों की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि खरीदना मुश्किल हो गया है।
कारीगरों की उम्मीदें
ये कारीगर पीढ़ियों से सदियों पुरानी परंपराओं को संजोए हुए हैं। छठ आने से पहले उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके शिल्प और हुनर के संरक्षण के लिए जल्द उचित योजना बनाएगी।
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